नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा मनमर्जी से फीस बढ़ाने और अभिभावकों के आर्थिक शोषण को रोकने के लिए बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में “दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस बिल 2025” को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने को मंजूरी दी गई। अब यह अध्यादेश 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी माना जाएगा।
यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि पहले इस बिल को विधानसभा के सत्र में पारित करने की योजना थी, लेकिन किसी कारणवश सत्र स्थगित कर दिया गया। अतः सरकार ने इसे अध्यादेश के रूप में लागू करने का निर्णय लिया। अब इसे उपराज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को मंजूरी हेतु भेजा गया है।

शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने की प्रेसवार्ता में घोषणा
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने प्रेसवार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि यह अध्यादेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन “सबका साथ, सबका विकास” और पारदर्शी शासन की सोच से प्रेरित है। उन्होंने कहा,
“अब निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगेगी और अभिभावकों का आर्थिक शोषण नहीं होगा। यह अध्यादेश दिल्ली के लाखों छात्रों और उनके अभिभावकों के हित में है।“
मुख्य विशेषताएं और सख्त प्रावधान
- ₹10 लाख तक जुर्माना और मान्यता रद्द:
नियमों के उल्लंघन की स्थिति में संबंधित स्कूल पर ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा और स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकेगी। - फीस तय करने के लिए स्कूल स्तरीय समिति:
- प्रत्येक निजी स्कूल को एक “स्कूल स्तरीय फीस विनियमन समिति” गठित करनी होगी।
- इसमें प्रधानाचार्य (सचिव), तीन शिक्षक, पांच अभिभावक, और स्कूल प्रबंधन अध्यक्ष होंगे।
- समिति में कम से कम दो महिलाएं और एससी/एसटी समुदाय के प्रतिनिधि अनिवार्य होंगे।
- शिक्षा निदेशालय का एक प्रतिनिधि पर्यवेक्षक की भूमिका निभाएगा।
- फीस वृद्धि की अवधि और प्रक्रिया:
- समिति द्वारा स्वीकृत फीस तीन वर्षों के लिए मान्य होगी।
- फीस में बदलाव के लिए 18 निर्धारित मापदंडों को ध्यान में रखना अनिवार्य होगा, जैसे कि –
- स्कूल भवन की स्थिति
- वित्तीय रिपोर्ट
- प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और खेल मैदान की गुणवत्ता
- समिति गठन और रिपोर्टिंग समयसीमा:
- सभी स्कूलों को 31 जुलाई तक समिति गठन करना होगा।
- समिति को 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी होगी।
- अभिभावकों की भूमिका और अपील व्यवस्था:
- यदि किसी निर्णय से 15% या अधिक अभिभावक असहमति जताते हैं, तो वे जिला स्तरीय समिति में अपील कर सकते हैं।
- यदि स्कूल समिति रिपोर्ट समय पर नहीं देती, तो मामला स्वतः जिला समिति को जाएगा।
- अंतिम निर्णय के लिए राज्य स्तरीय सात सदस्यीय समिति गठित की जाएगी।

1677 निजी स्कूल आएंगे दायरे में
इस अध्यादेश के दायरे में दिल्ली के 1677 निजी स्कूल आएंगे, जो अब मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। इससे खासकर मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग के अभिभावकों को राहत मिलेगी, जो अब तक स्कूलों की फीस बढ़ोतरी से परेशान रहते थे।