नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार के बाद पार्टी ने पहली बार हार की समीक्षा की है। पार्टी का मानना है कि इस बार मिडिल क्लास वोटर्स का समर्थन न मिलना उसकी हार की सबसे बड़ी वजह बनी है। लोकसभा चुनाव में जहाँ मिडिल क्लास ने बीजेपी का समर्थन किया, वहीं विधानसभा चुनाव में वह वापस आम आदमी पार्टी के साथ नहीं आया। इस बदलाव के कारण, बीजेपी ने 27 साल बाद दिल्ली विधानसभा में सत्ता हासिल की है।
मिडिल क्लास ने AAP को नहीं चुना
AAP के आंतरिक सर्वे के अनुसार, इस बार मिडिल क्लास का एक बड़ा हिस्सा लोकसभा में बीजेपी के साथ था, लेकिन विधानसभा में इसने AAP का साथ नहीं दिया। बीजेपी ने केंद्रीय बजट में मिडिल क्लास को लेकर किए गए ऐलान, जैसे 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स में छूट, को एक अहम फैक्टर बताया। आम आदमी पार्टी इस स्थिति का आकलन करने में विफल रही, जिसके कारण उसे मिडिल क्लास का समर्थन नहीं मिल पाया।

आखिरी चरण में रणनीतिक बैठक का अभाव
AAP के सूत्रों का कहना है कि बीजेपी की बढ़त को रोकने के लिए अंतिम प्रचार चरण में रणनीतिक बैठकें होनी चाहिए थीं, लेकिन पार्टी ने इस दिशा में कोई विशेष प्रयास नहीं किया। दिल्ली में महिलाओं के साथ ‘रेवड़ी पर चर्चा’ और ‘पिंक पर्चा’ जैसे मुद्दों पर बैठकें तो आयोजित की गई थीं, लेकिन आम मतदाताओं तक पहुंचने में पार्टी विफल रही। इससे पार्टी की उम्मीदें धराशायी हो गईं और बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
धन-बल का असर
AAP के नेतृत्व का मानना है कि बीजेपी ने चुनावों में धन और शराब के माध्यम से अपने प्रभाव का विस्तार किया, और इसे डर के साथ जोड़कर प्रभावी रणनीति बनाई। पार्टी का कहना है कि इन उपायों ने झुग्गी क्षेत्रों के AAP के पारंपरिक वोटर्स में डर पैदा किया, जिससे कई वोटर्स मतदान से दूर रहे। इससे AAP का वोट शेयर घटा और पार्टी ने अपनी बड़ी सीटों की संख्या खो दी। AAP के पास पहले दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से 62 थीं, लेकिन इस बार पार्टी केवल 22 सीटों तक सिमट गई।

AAP की हार के बाद तीन मुख्य लक्ष्य
आम आदमी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने हार के बाद तीन प्रमुख लक्ष्यों की पहचान की है, जिनके आधार पर वह आगामी चुनावों में अपनी रणनीति तैयार करेगी:
- पंजाब मॉडल को सशक्त बनाना: AAP पार्टी पंजाब के किले को बनाए रखने के साथ ‘पंजाब मॉडल’ पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें जनता के कामों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- दिल्ली में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाना: AAP पार्टी दिल्ली विधानसभा में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की भूमिका को मजबूत करने पर ध्यान देगी। पार्टी बीजेपी की नीतियों को चुनौती देने के लिए रणनीति तैयार करेगी।
- संगठनात्मक विस्तार: पार्टी अब राष्ट्रीय स्तर पर अपने संगठन का विस्तार करने की तैयारी कर रही है, जिसमें खासतौर पर गुजरात और गोवा पर फोकस किया जाएगा। साथ ही दिल्ली और पंजाब में अपनी स्थिति को मजबूत करना भी प्रमुख लक्ष्य रहेगा।
दिल्ली यूनिट में बड़े बदलाव
दिल्ली में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के जमीनी स्तर पर मिल रही प्रतिक्रियाओं के आधार पर AAP अपनी दिल्ली यूनिट में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। पार्टी ने चुनाव में हारने वाले बड़े नेताओं को अहम जिम्मेदारियां सौंपने का निर्णय लिया है। साथ ही, पार्टी बूथ स्तर पर एजेंटों और कार्यकर्ताओं से संपर्क साधकर अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में काम करेगी।
आगे की रणनीति:
इस बार के विधानसभा चुनाव ने आम आदमी पार्टी को एक बड़ा झटका दिया है। पार्टी को 70 में से सिर्फ 22 सीटें मिली हैं, जबकि बीजेपी को 48 सीटों पर विजय प्राप्त हुई है। इसके अलावा, पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत AAP के कई बड़े नेता अपनी सीट बचाने में विफल रहे हैं। इन परिणामों को ध्यान में रखते हुए पार्टी अब अपनी रणनीति में बदलाव करने और जमीनी स्तर पर अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने पर फोकस करेगी।