नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने 21 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने आज पहली बार दिल्ली सचिवालय पहुंचकर अपने नए कार्यकाल की शुरुआत की। हालांकि, इस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक गुरू और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कुर्सी पर बैठने से साफ मना कर दिया। इसके बजाय, आतिशी ने सचिवालय में अपने साथ लाई सफेद रंग की कुर्सी का इस्तेमाल किया, जो उनके लिए सम्मान और अनुशासन का प्रतीक मानी जा रही है।
आतिशी की भावनात्मक अभिव्यक्ति: ‘भरत जी जैसा महसूस कर रही हूं’
सीएम आतिशी ने कार्यभार संभालते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया और भगवान श्रीराम और भरत के प्रसंग का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “आज मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला है। मेरे मन की वही व्यथा है, जो भरत जी की थी। जिस तरह भरत जी ने भगवान श्रीराम के खड़ाऊं रखकर अयोध्या का शासन संभाला, उसी तरह मैं अगले चार महीने तक यह पद संभालूंगी।”
आतिशी ने स्पष्ट किया कि यह कुर्सी अरविंद केजरीवाल की है और वो इसमें तब तक नहीं बैठेंगी जब तक केजरीवाल खुद इसे दोबारा ग्रहण नहीं कर लेते। उनके बयान ने पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और अरविंद केजरीवाल के प्रति आदरभाव को दर्शाया। आतिशी ने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि दिल्ली की जनता 2024 के चुनावों में एक बार फिर अरविंद केजरीवाल को जीताकर मुख्यमंत्री बनाएगी।
‘बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल पर कीचड़ उछालने में कोई कसर नहीं छोड़ी’
आतिशी ने अपने संबोधन में पिछले दो सालों के राजनीतिक घटनाक्रम पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल की छवि धूमिल करने के लिए हर संभव कोशिश की। उन पर झूठे आरोप लगाए गए और उन्हें छह महीने तक जेल में रखा गया। कोर्ट ने भी साफ कहा कि उनकी गिरफ्तारी दुर्भावना से की गई थी।”
आतिशी ने आगे कहा कि दिल्ली की जनता केजरीवाल की ईमानदारी से भली-भांति परिचित है और आने वाले चुनावों में उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाएगी। उनका विश्वास है कि तब तक केजरीवाल की कुर्सी उसी तरह सचिवालय में रहेगी, जैसे भरत ने भगवान श्रीराम की खड़ाऊं को सिंहासन पर रखा था।
केजरीवाल का इस्तीफा और आतिशी का नया दायित्व
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में थे, जहां उन्हें कथित शराब घोटाले के मामले में रखा गया था। हालांकि, 13 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत दी। जेल से बाहर आने के बाद 15 सितंबर को केजरीवाल ने घोषणा की कि वह अगले दो दिनों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। उन्होंने 17 सितंबर को औपचारिक रूप से अपना इस्तीफा सौंपा, और इसके साथ ही पार्टी की कमान आतिशी को सौंपी गई।
21 सितंबर को आतिशी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और मंत्रिमंडल का गठन किया। आज सचिवालय में पहुंचने पर उन्होंने अपना पहला दिन बेहद उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ शुरू किया। सचिवालय में प्रवेश करते ही उनकी सफेद कुर्सी और अरविंद केजरीवाल की लाल कुर्सी का साथ होना इस बात का प्रतीक था कि पार्टी की जड़ें और नेतृत्व अभी भी केजरीवाल के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है।
‘ईमानदारी की मिसाल हैं केजरीवाल’
अपने संबोधन के दौरान आतिशी ने अरविंद केजरीवाल की ईमानदारी की भी सराहना की। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में ईमानदारी की एक मिसाल कायम की है। पिछले दो सालों में बीजेपी ने उन्हें बदनाम करने की हर संभव कोशिश की, लेकिन उनकी सच्चाई पर कोई सवाल नहीं उठा सका। अब जब तक दिल्ली की जनता उन्हें फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बिठा देती, वह खुद इस पद को ग्रहण नहीं करेंगे।”