नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक मंच पर भूमिका को लेकर सार्वजनिक सराहना की है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश यात्रा करने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल थरूर ने एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित अपने कॉलम में लिखा कि प्रधानमंत्री की ऊर्जा, सक्रियता और निर्णय लेने की क्षमता भारत के लिए एक बड़ी पूंजी है, जिसे और मजबूत समर्थन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत की अंतरराष्ट्रीय रणनीति में तकनीक, व्यापार और परंपरा जैसे तीन प्रमुख स्तंभों की भूमिका होनी चाहिए। साथ ही यह भी रेखांकित किया कि एकता, प्रभावी संवाद, सॉफ्ट पावर और जन कूटनीति जैसे तत्व तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में देश का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
थरूर ने बताया कि आउटरीच मिशन का मुख्य उद्देश्य यह स्पष्ट करना था कि भारत की कार्रवाई आत्मरक्षा की वैध प्रतिक्रिया थी, जो सीमापार से हो रहे लगातार आतंकी प्रयासों का उत्तर थी। उन्होंने कहा कि कई देशों की सरकारों के रुख में आया परिवर्तन इस संवाद की सफलता को दर्शाता है।
थरूर ने कोलंबिया द्वारा पाकिस्तान में मारे गए लोगों के लिए जारी शोक संदेश पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई और जोर दिया कि आतंकियों और देश की रक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों के बीच नैतिक तुलना उचित नहीं है। इसके बाद कोलंबिया ने अपना बयान वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि धैर्यपूर्वक तर्क और तथ्यों को सामने रखने से गलतफहमियों को भी दूर किया जा सकता है।
अमेरिका में हुए संवाद का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधियों ने भारत की चिंताओं को दोहराया और आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद पर कार्रवाई की मांग की। इससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत की स्थिति को वैश्विक समर्थन मिला और पाकिस्तान की दलीलों की गंभीरता घट गई।
हालांकि थरूर की इस पहल पर कांग्रेस के कुछ सहयोगी असहज दिखे। पार्टी के भीतर आलोचना का सामना कर रहे थरूर ने कहा कि उनके बयानों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वह इन आलोचनाओं की बजाय सार्थक कूटनीति और संवाद को प्राथमिकता देते हैं।
यह बयान उस समय आया है जब थरूर ने हाल ही में कांग्रेस नेतृत्व के साथ मतभेदों को स्वीकारा था, हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी कैडर या नेतृत्व से उनके मतभेद कोई गंभीर विषय नहीं हैं।
थरूर ने 11 जून को ऑपरेशन सिंदूर के बाद लौटे सातों दलों के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की थी, जिसमें मिशन से जुड़े अनुभव साझा किए गए थे।