नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बुधवार को एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता केंद्र सरकार, त्रिपुरा सरकार, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के प्रतिनिधियों के बीच हुआ। इस अवसर पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा और गृह मंत्रालय तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। इस समझौते का उद्देश्य त्रिपुरा में उग्रवाद को समाप्त कर राज्य में शांति और स्थिरता की स्थापना करना है।
अमित शाह: पूर्वोत्तर के लिए 12वां और त्रिपुरा का तीसरा समझौता
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि यह समझौता पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए किए गए 12वां और त्रिपुरा से संबंधित तीसरा समझौता है। उन्होंने बताया कि इस समझौते के साथ ही एनएलएफटी और एटीटीएफ के लगभग 328 सशस्त्र कैडर मुख्यधारा में शामिल हो जाएंगे। इस प्रक्रिया के तहत अब तक 10 हजार से अधिक उग्रवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं और मुख्यधारा में लौट आए हैं।
पूर्वोत्तर में शांति और विकास की सरकार की प्रतिबद्धता
गृह मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर में हस्ताक्षरित सभी शांति समझौतों को लागू किया है, जिससे क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि आई है। शाह ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित 2500 करोड़ रुपये के विकास पैकेज को पूर्वोत्तर में लागू किया गया है, जो इस क्षेत्र में विकास की गति को बढ़ावा देगा।
पूर्वोत्तर के विकास के लिए 12 महत्वपूर्ण समझौते
अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और समृद्धि लाने के लिए अब तक 12 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से तीन समझौते त्रिपुरा से संबंधित हैं। इन समझौतों के माध्यम से लगभग 10,000 उग्रवादियों ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया है।
एनएलएफटी और एटीटीएफ: उग्रवादी संगठनों का इतिहास और उद्देश्य
नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) दोनों उग्रवादी संगठन हैं, जिनका उद्देश्य त्रिपुरा को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना करना था। ये संगठन लंबे समय से हिंसक गतिविधियों में शामिल रहे हैं और राज्य में आतंक फैलाने के लिए जाने जाते हैं। 1997 में केंद्र सरकार ने इन दोनों संगठनों को गैरकानूनी घोषित कर दिया था। इसके बाद 2019 और 2023 में इन संगठनों पर लगे प्रतिबंध को और बढ़ाया गया। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि इन संगठनों का उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्य के अन्य सशस्त्र अलगाववादी संगठनों के साथ मिलकर त्रिपुरा को भारत से अलग करना है।