Wednesday, June 4, 2025
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तमिलनाडु के समुद्र तट पर दुर्लभ ओरफिश की उपस्थिति से मचा कौतूहल, वैज्ञानिक और मान्यताओं पर बहस तेज

चेन्नई: तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र में मछुआरों द्वारा हाल ही में एक अत्यंत दुर्लभ समुद्री जीव पकड़ा गया है, जिसे वैज्ञानिक रूप से Regalecus glesne के नाम से जाना जाता है और आम बोलचाल में इसे ओरफिश कहा जाता है। यह मछली सामान्यत: समुद्र की गहराई में निवास करती है और इसकी सतह पर उपस्थिति एक असामान्य घटना मानी जाती है। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में उत्सुकता और आशंका दोनों देखने को मिल रही हैं।

इस विशालकाय मछली को मछुआरों ने समुद्र से बाहर निकालते हुए एक वीडियो बनाया, जिसे ‘नीरिन मगन’ नामक इंस्टाग्राम पेज पर साझा किया गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि मछुआरे इस मछली को हाथों में पकड़े हुए हैं और इसके साथ तस्वीरें भी खिंचवा रहे हैं। यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया है और सोशल मीडिया पर चर्चाओं का विषय बना हुआ है।

ओरफिश की लंबाई 30 फीट तक हो सकती है और इसका शरीर सिल्वर रंग का लहरदार होता है। इसके सिर के पास एक लाल रंग की लंबी पंखनुमा संरचना होती है, जो इसे अन्य समुद्री जीवों से अलग बनाती है। यह मछली सामान्यत: समुद्र की 200 से 1000 मीटर की गहराई में पाई जाती है और सतह पर इसका दिखना अत्यंत दुर्लभ है।

ओरफिश को कई संस्कृतियों में विशेष प्रतीकात्मक महत्व प्राप्त है। जापानी लोकमान्यताओं में इस मछली को ‘डूम्सडे फिश’ यानी ‘प्रलय की मछली’ कहा जाता है। वहां यह विश्वास किया जाता है कि जब यह मछली सतह पर दिखाई देती है, तो उसके बाद कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप या सुनामी आ सकती है। हालाँकि, वैज्ञानिक समुदाय इस धारणा को मिथक मानता है और इसे प्रमाणित करने वाला कोई वैज्ञानिक आधार नहीं माना जाता है। फिर भी, इस मछली की अचानक उपस्थिति आम जनता के बीच जिज्ञासा और चिंता का विषय बनी रहती है।

समुद्री विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि ओरफिश की सतह पर उपस्थिति संभवत: समुद्र में हुए किसी पर्यावरणीय बदलाव, जैसे जलवायु परिवर्तन या समुद्र के भीतर हलचल का संकेत हो सकती है। यह बदलाव इनके प्राकृतिक आवास को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण ये जीव अपनी सामान्य गहराई से ऊपर आ जाते हैं।

फिलहाल मछली की यह उपस्थिति स्थानीय समुद्री पारिस्थितिकी और मान्यताओं, दोनों के दृष्टिकोण से चर्चा में है। वैज्ञानिकों ने इस मछली के व्यवहार पर अध्ययन की आवश्यकता जताई है, ताकि समुद्र के भीतर होने वाले परिवर्तनों को बेहतर ढंग से समझा जा सके। वहीं, स्थानीय समुदाय में भी इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं और इसकी रहस्यमयी प्रकृति ने फिर एक बार समुद्र के रहस्यों को उजागर करने की जिज्ञासा को हवा दी है।

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