जयपुर: राज्य सरकार ने युवाओं को तंबाकू के दुष्प्रभावों से बचाने और सार्वजनिक स्थलों को तंबाकू मुक्त बनाने के उद्देश्य से अहम निर्णय लिया है। अब प्रदेश में बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, जर्दा जैसे सभी तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए संबंधित निकायों से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। शहरी विकास एवं आवासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है और इसे जुलाई से अगस्त 2025 के बीच लागू किए जाने की योजना है।
नई व्यवस्था के तहत तंबाकू उत्पाद बेचने वाले सभी दुकानदारों को नगर निगम, नगर परिषद या नगर पालिका से लाइसेंस लेना होगा। इसके लिए वार्षिक शुल्क 1,000 रुपये निर्धारित किया गया है। इस पहल का पहला चरण राज्य के दस प्रमुख शहरों—जयपुर, जोधपुर, सीकर, अलवर, उदयपुर, बीकानेर, कोटा, अजमेर, ब्यावर और नागौर—में लागू किया जाएगा। जानकारी के अनुसार, केवल जयपुर में ही लगभग 46 हजार तंबाकू विक्रेता सक्रिय हैं, जिनमें से करीब 20 हजार मुख्य सड़कों और चौराहों पर व्यवसाय कर रहे हैं। राज्यभर में इनकी संख्या दो लाख के आसपास मानी जा रही है।
सरकार ने इस नीति के साथ तंबाकू नियंत्रण को सख्ती से लागू करने के लिए कई अहम नियम भी जोड़े हैं। यदि कोई लाइसेंस प्राप्त विक्रेता 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को तंबाकू उत्पाद बेचता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, स्कूलों, अस्पतालों और बस स्टैंड जैसे सार्वजनिक स्थानों से 100 मीटर की परिधि में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी।
यह निर्णय न केवल युवाओं को तंबाकू के सेवन से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है, बल्कि इसका उद्देश्य तंबाकू की अनियमित और अवैध बिक्री पर नियंत्रण स्थापित करना और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना भी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने सरकार के इस कदम की सराहना की है और इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक मजबूत पहल बताया है।