Saturday, November 23, 2024
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डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने सफलतापूर्वक वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएलएसआरएसएएम) का दूसरा उड़ान परीक्षण किया

ओडिशा, 13 सितंबर 2024: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएलएसआरएसएएम) का सफल परीक्षण कर अपनी क्षमताओं को एक बार फिर साबित किया। ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से यह मिसाइल दागी गई, जो फिलहाल किसी औपचारिक नाम से नहीं जानी जाती, लेकिन इसे जल्द ही बराक-1 मिसाइल की जगह जंगी जहाजों पर तैनात करने की योजना है।

दुश्मन के हवाई हमलों से भारतीय नौसेना को सुरक्षित बनाएगी वीएलएसआरएसएएम

दोनों सफल परीक्षणों के दौरान मिसाइल ने समुद्र से आने वाले उच्च गति वाले, कम ऊंचाई पर उड़ रहे हवाई लक्ष्यों को सटीकता से भेदा। यह परीक्षण इस बात की पुष्टि करता है कि यह मिसाइल दुश्मन के विमानों, ड्रोन, हेलीकॉप्टरों, और मिसाइलों को राडार से बचने की किसी भी कोशिश को विफल कर सकती है। इसका मतलब यह है कि भविष्य में दुश्मन भारत को इस तरह से चकमा नहीं दे पाएगा, क्योंकि यह मिसाइल उसे हर कोण से खत्म करने की क्षमता रखती है।

मिसाइल की प्रमुख विशेषताएं

वीएलएसआरएसएएम मिसाइल का वजन 154 किलोग्राम है और यह लगभग 12.6 फीट लंबी है। इसके व्यास की बात करें, तो यह 7.0 इंच है। इस मिसाइल को डीआरडीओ और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। इसके अंदर हाई-एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया गया है, जो 25 से 30 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है। यह मिसाइल अधिकतम 12 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकती है और 5556.6 किलोमीटर प्रति घंटे (मैक 4.5) की तेज गति से उड़ान भरती है।

इसकी गति बराक-1 मिसाइल से दोगुनी मानी जा रही है, जो 98 किलोग्राम वजन वाली इजरायली निर्मित मिसाइल है। बराक-1 के विपरीत, भारतीय नौसेना अब अपने युद्धपोतों पर स्वदेशी वीएलएसआरएसएएम मिसाइल तैनात करने की योजना बना रही है।

डीआरडीओ की महत्वपूर्ण भागीदारी

डीआरडीओ ने मिसाइल के परीक्षण के दौरान उड़ान मार्ग और प्रदर्शन मापदंडों की लगातार निगरानी की। इसके लिए विभिन्न रेंज उपकरणों जैसे राडार, ईओटीएस (इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम), और टेलीमेट्री सिस्टम का उपयोग किया गया। इस परीक्षण में डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।

यह परीक्षण भारत की बढ़ती रक्षा क्षमताओं की ओर एक और कदम है। डीआरडीओ और नौसेना द्वारा मिसाइल के कुछ और परीक्षण किए जाने की संभावना है, जिसके बाद इसे भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात किया जाएगा।

स्वदेशीकरण की ओर एक कदम

बराक-1 मिसाइल, जो वर्तमान में भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात है, इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स द्वारा निर्मित है। इसका वजन 98 किलोग्राम और लंबाई 6.9 फीट है। अब, डीआरडीओ द्वारा निर्मित वीएलएसआरएसएएम की तैनाती के बाद भारतीय नौसेना स्वदेशी मिसाइलों से लैस होगी, जो देश की आत्मनिर्भरता को और मजबूत बनाएगा।

नौसेना की सामरिक क्षमताओं में बढ़ोतरी

वीएलएसआरएसएएम की तैनाती भारतीय नौसेना के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण साबित होगी, क्योंकि यह 360 डिग्री में घूमकर हवाई खतरों का सामना कर सकती है। इसके अलावा, इसकी अत्यधिक गति और सटीकता नौसेना के युद्धपोतों को हवाई हमलों से बचाने में अहम भूमिका निभाएगी।

भारतीय नौसेना के जहाजों पर इसे जल्द ही तैनात करने की योजना है, जिससे देश की सुरक्षा और अधिक मजबूत हो जाएगी।

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