महाराष्ट्र: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित गठबंधन की अटकलों को उस समय और बल मिला, जब शिवसेना (UBT) के मुखपत्र ‘सामना’ के पहले पृष्ठ पर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की एक पुरानी तस्वीर छपी। इस तस्वीर के साथ मराठी में लिखा शीर्षक हिंदी में कुछ यूं अनुवादित होता है—“महाराष्ट्र के मन में जो है, वही होगा… चर्चा शुरू हो गई है… बेताब हैं।”
यह शीर्षक और तस्वीर राजनीतिक हलकों में हलचल मचाने के लिए काफी रही। विश्लेषकों और नेताओं के बीच इस बात की व्यापक चर्चा हो रही है कि नगर निगम चुनाव से पहले ठाकरे बंधु—राज और उद्धव—फिर से एक मंच पर आ सकते हैं। यह संभावना राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है, खासकर उस समय जब शिवसेना दो गुटों में बंटी हुई है और भाजपा तथा एनसीपी से मुकाबले के लिए मजबूत गठजोड़ की जरूरत है।

पृष्ठभूमि: कहां से शुरू हुई यह चर्चा?
इस पूरे घटनाक्रम की जड़ें अप्रैल 2025 में मिलती हैं, जब मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने फिल्म निर्देशक महेश मांजरेकर को दिए एक यूट्यूब इंटरव्यू में पहली बार सार्वजनिक रूप से इस संभावना की ओर इशारा किया था।
राज ठाकरे ने कहा था:
“हमारे विवाद और झगड़े बहुत छोटे हैं और किसी भी बड़े मुद्दे के लिए छोटे हैं, महाराष्ट्र बहुत बड़ा है… इस महाराष्ट्र के अस्तित्व के लिए, मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए, ये झगड़े और विवाद बहुत मामूली हैं। मुझे नहीं लगता कि इसके कारण एक साथ आना और साथ रहना बहुत मुश्किल है। लेकिन यह इच्छाशक्ति का मामला है।”
उनके इस बयान को उसी समय संभावित राजनीतिक मेल की भूमिका के रूप में देखा गया था।
उद्धव ठाकरे ने क्या कहा?
हाल ही में जब पत्रकारों ने उद्धव ठाकरे से इस मुद्दे पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा:
“महाराष्ट्र की जनता के मन में जो होगा, वही होगा। मैंने आपको एक ही वाक्य में बता दिया। हम इस संबंध में सभी बारीकियों की जांच कर रहे हैं।”
उद्धव यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा:
“मैं आपको सिर्फ संदेश नहीं, बल्कि लाइव समाचार दूंगा। मेरे शिवसैनिकों के मन में कोई भ्रम नहीं है। इसलिए, संदेश देने की बजाय, हम जो समाचार देना चाहते हैं, वह देंगे।”
इस बयान को लेकर यह स्पष्ट संकेत मिला कि उद्धव ठाकरे ने गठबंधन के संकेतों को खारिज नहीं किया है, बल्कि संभावनाओं को खुला रखा है।

क्या है राजनीतिक महत्व?
- बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) चुनाव निकट हैं। यह चुनाव हमेशा से ही शिवसेना की साख का विषय रहा है।
- मनसे के पास मराठी वोट बैंक का एक मजबूत आधार है, जबकि उद्धव ठाकरे की छवि एक अनुभवी प्रशासक की है।
- यदि दोनों ठाकरे फिर साथ आते हैं, तो यह गठबंधन महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना को फिर से मजबूती दे सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत शिंदे का कहना है:
“यदि उद्धव और राज साथ आते हैं तो भाजपा और शिंदे गुट के लिए मुंबई और ठाणे जैसे क्षेत्रों में बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है। यह मराठी अस्मिता के नाम पर बड़ा ध्रुवीकरण कर सकता है।”