अमेरिका: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में लागू की गई टैरिफ नीति से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में जबरदस्त उथल-पुथल मच गई है। विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का कहना है कि यह नीति न केवल अमेरिका की घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है, बल्कि इससे विश्वव्यापी मंदी का खतरा भी मंडराने लगा है।
हालांकि, ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इस नीति का उद्देश्य अमेरिका के हितों की रक्षा करना है और इसका परिणाम यह हुआ है कि 50 से अधिक देश अमेरिका से व्यापारिक वार्ता करना चाह रहे हैं।

व्हाइट हाउस के संपर्क में 50 से अधिक देश
ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने एनबीसी न्यूज के चर्चित कार्यक्रम ‘Meet the Press’ में कहा कि,
“टैरिफ की घोषणा के बाद से 50 से अधिक देशों ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता की इच्छा जताई है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे अधिकतम लाभ उठाया है।”
वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक ने भी इस नीति का समर्थन करते हुए कहा कि टैरिफ कुछ हफ्तों तक लागू रहेंगे और फिर परिणामों की समीक्षा की जाएगी।
वैश्विक नेताओं की प्रतिक्रिया
ताइवान:
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने रविवार को ट्रंप से फोन पर बात की। उन्होंने शून्य टैरिफ नीति का समर्थन करते हुए कहा कि ताइवान अमेरिका में निवेश बढ़ाने को तैयार है और सभी व्यापारिक बाधाएं हटाने का आश्वासन दिया है।
इज़राइल:
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका से वार्ता के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि
“सोमवार को ट्रंप से होने वाली बैठक में हम इज़राइली उत्पादों पर लगे 17% टैरिफ को हटाने की मांग करेंगे।”
भारत:
भारत भी वार्ता की प्रक्रिया में शामिल हो चुका है। रॉयटर्स को एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि भारत 26% टैरिफ पर जवाबी कार्रवाई की योजना नहीं बना रहा है और वर्तमान में अमेरिका से समझौते पर बातचीत चल रही है।

इटली:
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने रविवार को उन व्यवसायों की रक्षा का संकल्प लिया जो अमेरिकी टैरिफ के कारण प्रभावित हो रहे हैं। यूरोपीय संघ के उत्पादों पर लगे 20% टैरिफ को लेकर भी वे अमेरिकी प्रशासन से संपर्क में हैं।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट
टैरिफ नीति के लागू होते ही अमेरिकी बाजारों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है।
पिछले एक सप्ताह में स्टॉक मार्केट में लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर की गिरावट हुई है।
वहीं ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अब तक कुल 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान निवेशकों को झेलना पड़ा है।
मंदी की आशंका बढ़ी
जेपी मॉर्गन के प्रमुख अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इन टैरिफ के चलते अमेरिका की GDP में 0.3% की गिरावट आ सकती है।
साथ ही, मौजूदा बेरोजगारी दर 4.2% से बढ़कर 5.3% तक पहुंचने का खतरा भी जताया गया है।