झुंझुनूं, 18 अप्रैल 2025: झुंझुनूं रोडवेज डिपो एक बड़े भ्रष्टाचार के मामले में घिर गया है, जहां बिना ड्यूटी किए 13 कर्मचारियों को नियमित वेतन दिए जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह घोटाला उस समय उजागर हुआ जब राजस्थान रोडवेज के प्रबंध निदेशक पुरुषोत्तम शर्मा के निर्देश पर एक पांच सदस्यीय जांच दल ने डिपो का दौरा कर रिकॉर्ड की गहन जांच की।
ACB की शिकायत से खुला राज
यह पूरा मामला एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को जून 2024 में मिली एक शिकायत के बाद शुरू हुआ। शिकायत में स्पष्ट रूप से बताया गया था कि कुछ चालक, परिचालक और लिपिक बिना ड्यूटी के भी वेतन ले रहे हैं। ACB ने इसकी सूचना रोडवेज मुख्यालय को दी, जिसके बाद एमडी पुरुषोत्तम शर्मा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच के आदेश जारी किए।

मुख्यालय से आई जांच टीम ने झुंझुनूं डिपो का दौरा किया और प्रारंभिक जांच में ही कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ। टीम को यह तथ्य मिले कि 11 चालक-परिचालक और दो लिपिक लंबे समय से ड्यूटी पर नहीं आ रहे थे, फिर भी विभागीय रिकॉर्ड में उन्हें नियमित रूप से ड्यूटी पर दर्शाया गया और वेतन भी जारी होता रहा।
जिन्हें ड्यूटी पर दिखाया गया, वे कहीं और कार्यरत
जांच में यह बात भी सामने आई कि कुछ कर्मचारी तो किसी और विभाग में कार्यरत थे, जबकि कुछ वर्षों से अनुपस्थित थे। बावजूद इसके उन्हें झुंझुनूं डिपो से हर महीने लगभग 15-15 हजार रुपये वेतन के रूप में दिए जा रहे थे। इस प्रकार विभाग को लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ।
इन नामों का हुआ खुलासा
सूत्रों के अनुसार, शिकायत में जिन कर्मचारियों के नाम शामिल हैं उनमें चीफ मैनेजर की बोलेरो के चालक नरेंद्र झाझड़िया, यातायात निरीक्षक महेश वर्मा, और तीन बस सारथियों के नाम प्रमुख हैं। ये सभी कर्मचारी ड्यूटी से नदारद रहते हुए भी वेतन प्राप्त कर रहे थे।
प्रशासनिक मिलीभगत का संदेह
इस मामले ने प्रशासनिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह शंका प्रबल हो गई है कि इतनी बड़ी अनियमितता मुख्य प्रबंधक गणेश शर्मा की जानकारी के बिना संभव नहीं हो सकती। जांच दल को संदेह है कि इस पूरे मामले में उच्च स्तर पर मिलीभगत हो सकती है।

प्रबंधन का पक्ष
पूरे मामले पर जब झुंझुनूं डिपो के मैनेजर गणेश शर्मा से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि “कुछ लोग शिकायत कर रहे हैं और विभागीय स्तर पर इसकी जांच की जा रही है। यदि कोई दोषी पाया गया तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”
प्रशासनिक साख पर संकट
इस घोटाले ने राजस्थान रोडवेज की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यह मामला केवल वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि पूरी प्रणाली की लापरवाही और जवाबदेही की कमी को भी दर्शाता है। यदि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देगा और ईमानदारी से कार्यरत कर्मचारियों का मनोबल भी टूटेगा।