झुंझुनूं, 30 जनवरी। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत जिला स्तरीय कार्यशाला कल सुबह 10:30 बजे खाना खजाना रिसोर्ट, झुंझुनूं में आयोजित की जाएगी। इस कार्यशाला का आयोजन भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) कार्यालय, जयपुर द्वारा किया जा रहा है। कार्यशाला में परंपरागत कारीगरों, विशेष रूप से स्वर्णकार वर्ग को इस योजना के लाभों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
कार्यशाला में ऑन-स्पॉट रजिस्ट्रेशन की सुविधा
एमएसएमई जयपुर कार्यालय के सहायक निदेशक गिरीश शर्मा ने बताया कि यह कार्यशाला विशेष रूप से झुंझुनूं के स्वर्णकारों और अन्य 18 श्रेणियों के परंपरागत कामगारों के लिए आयोजित की जा रही है। कार्यक्रम के दौरान ऑन-स्पॉट रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध रहेगी, जिससे इच्छुक कारीगर योजना का लाभ तुरंत प्राप्त कर सकेंगे।
राजस्थान स्वर्णकार संघ कर रहा है कार्यशाला में सहयोग
कार्यशाला के सहयोगी राजस्थान स्वर्णकार संघ के अध्यक्ष शिवकरण जानू ने बताया कि संघ द्वारा अधिक से अधिक कारीगरों को इस योजना से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि झुंझुनूं, शेखावाटी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण जिला है, जहां के स्वर्णकार अपनी उत्कृष्ट कारीगरी के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए इस कार्यशाला का आयोजन महीने के अंतिम दिन किया गया है, क्योंकि इस दिन स्वर्णकार वर्ग का मासिक अवकाश होता है।
योजना के तहत क्या मिलेंगे लाभ?
कार्यशाला के सह-आयोजक जिला उद्योग एवं वाणिज्य केंद्र झुंझुनूं के महाप्रबंधक नानूराम गहनोलिया ने बताया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 18 श्रेणियों के परंपरागत कारीगरों को लाभ पहुंचाने के लिए कई सुविधाएं दी जा रही हैं।
इनमें शामिल हैं—
- कामगारों को उन्नत टूल खरीदने के लिए ₹15,000 की वित्तीय सहायता।
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कारीगरों को विश्वकर्मा के रूप में मान्यता।
- ₹3 लाख तक का ऋण अनुदान पर उपलब्ध कराया जाएगा।
- राज्य सरकार द्वारा योजना के लाभार्थियों को 2% अतिरिक्त अनुदान सब्सिडी दी जा रही है।
किसे मिलेगा योजना का लाभ?
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में शामिल 18 परंपरागत कारीगर वर्गों में शामिल हैं—
- सुनार, लोहार, राजशिल्पी, मूर्ति निर्माता, भवन निर्माण श्रमिक, चर्मकार, जाल निर्माता, अस्त्रकार, धोबी सहित अन्य पारंपरिक व्यवसायी।
कब हुई थी योजना की शुरुआत?
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2023 को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर इस योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य देशभर के पारंपरिक कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें नई तकनीकों से जोड़कर उनकी आय में वृद्धि करना है।
कार्यशाला में सैकड़ों कारीगरों के शामिल होने की संभावना है, जहां वे योजना से जुड़कर सरकार की ओर से मिलने वाले लाभों का सीधा फायदा उठा सकते हैं।