ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में जिला और सत्र अदालत के फैसले पर हैरानी जताई है. 31 जनवरी को को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ करने की अनुमित दी थी. इसके कुछ घंटे बाद ही वहां आरती और पूजा-पाठ किया गया. इस सबको लेकर AIMPLB ने कहा कि यह गलत है कि कोर्ट ने पूजा की व्यवस्था के लिए प्रशासन को 7 दिन का समय दिया, लेकिन रात को ही सब व्यवस्था कर ली गई और पूजा भी हो गई, जबकि मामले में अभी सुनवाई होनी है.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, AIMPLB के प्रवक्ता डॉ सैय्यद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि यह सब प्लानिंग के साथ हो रहा है. सैय्यद रसूल इलियास ने इस मामले की अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि विवाद से तुलना की और कहा कि जिस तरह उस समय विवादित स्थल पर पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई थी, जबकि मामला कोर्ट में पेंडिंग था. उसी तरह इस मामले में भी किया गया है.
सैय्यद कासिम इलियास ने कहा, ‘बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट का फैसला स्वीकार नहीं था इसलिए हमने पुर्नविचार याचिका दाखिल की, लेकिन वह खारिज हो गई. उसके बाद हमारे पास क्या विकल्प बचा. सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया, लेकिन बाबरी मस्जिद मामले में इंसाफ नहीं हुआ. ऐसा ही फैसला ज्ञानवापी में हम कैसे स्वीकार कर सकते हैं, जहां आपने पूजा शुरू कर दी, जबकि इसका कोई सबूत नहीं. जब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा, पानी सिर से ऊपर निकल चुका होगा. तहखाना में पूजा जारी रहेगी, जिससे मामला प्रभावित होगा. यह एक सोची समझी प्लानिंग है.’
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