Monday, June 30, 2025
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जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई बने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति भवन में ली पद की शपथ

नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय को नया नेतृत्व मिल गया है। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने आज बुधवार को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक संक्षिप्त, लेकिन गरिमामय समारोह में उन्हें शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति गवई ने हिंदी भाषा में शपथ ली, जो उनके सामाजिक जुड़ाव और भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

जस्टिस संजीव खन्ना की सेवानिवृत्ति के बाद पदभार

जस्टिस गवई ने संजीव खन्ना की जगह ली है, जो 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त हो गए। उनके कार्यकाल की समाप्ति के साथ ही भारत के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व मुख्य न्यायाधीशगण, सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्टों के न्यायाधीश भी उपस्थित रहे।

शपथ लेने के बाद जस्टिस गवई ने सार्वजनिक मंच पर अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, जिसने पूरे समारोह को भावुक कर दिया और भारतीय परंपराओं का सजीव चित्र प्रस्तुत किया।

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सिर्फ 6 महीने का कार्यकाल, नवंबर में होंगे सेवानिवृत्त

न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल मुख्य न्यायाधीश के रूप में केवल 6 महीनों का होगा। वह 23 नवंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे। उन्हें 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और वे न्यायिक वरिष्ठता में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के बाद दूसरे स्थान पर थे।

16 अप्रैल को की गई थी औपचारिक सिफारिश

मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया के अनुसार, सीजेआई संजीव खन्ना ने 16 अप्रैल 2025 को जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। इसके बाद विधि मंत्रालय ने 14 मई से उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की।

अधिसूचना में उल्लेख किया गया:
“भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस बी.आर. गवई को 14 मई 2025 से भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है।”

महाराष्ट्र से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

जस्टिस भूषण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 16 मार्च 1985 को वकील के रूप में की। वह नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती यूनिवर्सिटी के स्थायी वकील रहे।

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  • 1992-93: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील
  • 2000: नागपुर पीठ के लिए सरकारी वकील नियुक्त
  • 2003: बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश
  • 2005: स्थायी न्यायाधीश
  • 2019: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश

कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे

सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस गवई ने संविधान पीठों का हिस्सा बनकर कई अहम और ऐतिहासिक फैसलों में योगदान दिया:

  1. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराने वाली 5 सदस्यीय पीठ में शामिल रहे।
  2. चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाली पीठ में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
  3. नोटबंदी के फैसले (2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोट रद्द करने) को 4:1 के बहुमत से सही ठहराने वाली पीठ में भी जस्टिस गवई शामिल थे।
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