नई दिल्ली, 28 अगस्त 2024: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, यह दावा करते हुए कि सरकार जिन योजनाओं को अपनी उपलब्धियों के रूप में प्रस्तुत कर रही है, वे दरअसल कांग्रेस सरकार के दौरान बनाई गई थीं। खरगे का कहना है कि मोदी सरकार ने केवल उन योजनाओं के नाम बदलकर उन्हें अपने नाम से प्रचारित किया और अब उन्हें जन-धन की लूट का जरिया बना रही है।
जन-धन योजना: गरीबों के साथ धोखा?
मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर जन-धन योजना के माध्यम से गरीबों को धोखा देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बैंकों को जन-धन योजना का साधन बनाकर गरीबों का पैसा हड़पने का काम किया जा रहा है। खरगे ने कहा, “मोदी सरकार ने बैंकों को जन-धन की लूट का साधन बनाया है और खाते में न्यूनतम राशि नहीं होने का बहाना बनाकर हजारों खाते बंद कर गरीबों का पैसा डकारा है।”
खरगे ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर मोदी सरकार ने जन-धन खाताधारकों को धोखा नहीं दिया है, तो उसे इन सवालों के जवाब देना चाहिए। उन्होंने तीन महत्वपूर्ण सवाल उठाए:
- क्या यह सच नहीं है कि 10 करोड़ से ज्यादा जन-धन बैंक खाते बंद हो चुके हैं, जिनमें करीब 50 प्रतिशत खाते महिलाओं के थे? इनमें दिसंबर 2023 तक 12,779 करोड़ रुपये जमा थे।
- बीस प्रतिशत जन-धन खाते बंद होने का जिम्मेदार कौन है? क्या यह सही नहीं है कि पिछले 9 वर्षों में जन-धन खातों में औसत बैलेंस 5000 रुपये से कम यानी सिर्फ 4,352 रुपये है? इतने से पैसों में गरीब लोग किस तरह जीवन यापन कर सकते हैं?
- क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार ने 2018 से 2024 तक आम खातों और जन-धन खातों से 43,500 करोड़ रुपये केवल न्यूनतम बैलेंस न होने पर, अतिरिक्त एटीएम ट्रांजेक्शन और एसएमएस शुल्क वसूलने के नाम पर लूटे हैं?
कांग्रेस की योजनाओं का नाम बदलकर जन-धन योजना बनाई गई
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने कांग्रेस-संप्रग की ‘नो फ्रिल्स अकाउंट्स’ योजना का नाम बदलकर जन-धन योजना कर दिया। उन्होंने बताया कि मार्च 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने 24.3 करोड़ गरीबों के लिए बैंक खाते खोले थे।
मल्लिकार्जुन खरगे ने विस्तार से बताया, “2005 में कांग्रेस-संप्रग सरकार ने बैंकों को ‘नो फ्रिल्स अकाउंट्स’ खोलने का निर्देश दिया था। 2010 में रिज़र्व बैंक ने बैंकों को वित्तीय समावेशी योजना तैयार करने और लागू करने के निर्देश दिए। 2011 में कांग्रेस सरकार ने ‘स्वाभिमान’ पहल शुरू की, और 2012 में ‘नो फ्रिल्स अकाउंट्स’ को ‘बेसिक सेविंग डिपाजिट अकाउंट’ का नाम दिया गया। 2013 में, बैंकों को फाइनेंशियल इंक्लूजन प्लान 2016 तक बढ़ाने के निर्देश दिए गए। इसी योजना का नाम बदलकर मोदी सरकार ने जन-धन योजना रख दिया।”
आधार योजना पर भी लगाए आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने कांग्रेस के दौरान शुरू की गई आधार योजना का विरोध किया था, लेकिन अब उसी योजना का उपयोग अपने लाभ के लिए कर रही है। उन्होंने कहा, “2013 में कांग्रेस-संप्रग ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम शुरू की और इसे 291 जिलों में एलपीजी सब्सिडी के लिए आधार से जोड़ा। उस वक्त भाजपा ने इस पहल का विरोध किया था। आज मोदी सरकार उसी योजना का इस्तेमाल कर रही है।”