चिड़ावा: दो दशकों से आस्था और भक्ति का प्रतीक बन चुकी भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव 2025 की तैयारियाँ इस बार और भी भव्य होने जा रही हैं। भक्तियोग आश्रम ऋषिकेश के परमानंद दास के सानिध्य में आयोजित बैठक में 10 और 11 दिसंबर को होने वाले प्रमुख कार्यक्रमों की विस्तृत रूपरेखा तय की गई। आयोजन समिति ने बताया कि इस बार रथयात्रा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पारंपरिक पीले चावल का निमंत्रण महोत्सव को और खास बनाएंगे।
चिड़ावा में आयोजित मुख्य बैठक शाम 7 से रात 9 बजे तक चली, जिसमें खींवसीका परिवार के प्रेम केडिया, हर्ष, मुकुंदा, सुनील शर्मा के साथ मनोहर जांगिड़ और रविकांत शर्मा सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद रहे। परमानंद दास के निर्देशन में हुई इस बैठक में कार्यक्रम की संपूर्ण योजना, मार्ग, व्यवस्था और भक्तों की सुविधा जैसे प्रमुख मुद्दों पर गहन चर्चा की गई।
बैठक में झंडीप्रसाद हिम्मतरामका, आशु श्रीमाल, प्रमोद अरड़ावतिया, श्याम जांगिड़, सुनील मंड्रेलिया, नरोत्तम पुजारी, राकेश शर्मा (सूरजगढ़) और कैलाश जोशी ने भी सुझाव दिए। इस दौरान कार्यक्रम के संचालन पर सुरेंद्र शर्मा, श्यामसुंदर पुजारी, विनीत पुजारी और पवन पांडे ने अपने विचार रखे, जबकि अनिल लांबीवाला, विक्रम शर्मा, एलके शर्मा, रामचंद्र शर्मा, संदीप हिम्मतरामका, राजकुमार जिसपाल और पूर्व पालिकाध्यक्ष शंकरलाल वर्मा भी मौजूद रहे।
बैठक में तय किया गया कि 10 दिसंबर की सुबह 10 बजे से वृंदावन फार्म में बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इसके साथ नृत्य-नाटिका की प्रस्तुति, धार्मिक कार्यक्रम और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियाँ पूरे दिन चलेंगी। आयोजकों का कहना है कि चिड़ावा की पारंपरिक आस्था और कला-संस्कृति को इस मंच के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा।
11 दिसंबर को सुबह 10 बजे डालमिया खेलकूद परिसर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का शुभारंभ होगा। रथयात्रा पिलानी रोड से होते हुए वृंदावन फार्म हाउस तक जाएगी। मार्ग में विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं द्वारा रथ का गर्मजोशी से स्वागत किया जाएगा। रथयात्रा में बड़ी संख्या में भक्तों की उपस्थिति की उम्मीद है और सुरक्षा व व्यवस्था की तैयारी भी शुरू कर दी गई है।
आयोजन समिति ने निर्णय लिया कि इस बार निमंत्रण के लिए क्षेत्रभर में पारंपरिक पीले चावल बांटे जाएंगे। प्रेम केडिया, हर्ष और मुकुंदा ने बताया कि पीले चावल बाँटने की परंपरा से समुदाय में एकता और सहभागिता बढ़ती है। आयोजकों के अनुसार यह तरीका ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लोगों को जोड़ने का सबसे प्रभावी माध्यम है।
बैठक के दौरान सुनील सिद्दड, सुरेंद्र शर्मा, श्याम जांगिड़, आशु श्रीमाल और प्रमोद अरड़ावतिया ने व्यवस्थाओं को और सुव्यवस्थित बनाने के लिए कई सुझाव दिए। रथयात्रा मार्ग की सजावट, पेयजल व्यवस्था, भंडारे का संचालन और भक्तों की भीड़ प्रबंधन जैसे मुद्दों पर विशेष रूप से चर्चा हुई। आयोजन समिति का कहना है कि इस बार महोत्सव को पहले से अधिक आकर्षक और व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।




