पाकिस्तान: भारत ने आतंक के खिलाफ एक बड़ा और साहसिक कदम उठाते हुए पाकिस्तान के भीतर नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की है। ऑपरेशन सिंदूर नामक इस गुप्त सैन्य कार्रवाई को भारतीय सेना ने अत्यधिक सटीकता और साहस के साथ अंजाम दिया। इसमें बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालयों को सफलतापूर्वक तबाह कर दिया गया।
भारतीय खुफिया एजेंसियों की सटीक जानकारी के आधार पर की गई इस कार्रवाई में लगभग 90 आतंकियों के मारे जाने की खबर है, जिसमें कई शीर्ष कमांडर भी शामिल बताए जा रहे हैं।

सेना की रणनीतिक सटीकता और अंतरराष्ट्रीय संदेश
यह कार्रवाई पाकिस्तान की धरती से भारत में बढ़ती आतंकी घुसपैठ और कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों में तेजी के मद्देनजर की गई है। भारत ने स्पष्ट किया है कि अब आतंकी हमलों का जवाब सीमाओं के अंदर तक जाकर दिया जाएगा। रक्षा विशेषज्ञ इसे भारत की नई सैन्य नीति का हिस्सा मान रहे हैं, जिसमें ‘पहले हमला, फिर चेतावनी’ की रणनीति अपनाई गई है।
पाकिस्तान का बदला हुआ रुख: युद्ध की धमकी से युद्धविराम तक
इस हमले के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, जो पहले भारत को ‘माकूल जवाब’ देने की बात कह रहे थे, अब नरमी की मुद्रा में दिख रहे हैं। उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा:
“हम भी कुछ नहीं करेंगे, अगर भारत और कोई कार्रवाई नहीं करता है।”
यह बयान पाकिस्तान की रणनीतिक असमर्थता और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच उसकी घबराहट को दर्शाता है।

पाकिस्तानी सेना की प्रतिक्रिया: सिर्फ बयानबाज़ी
पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भारतीय हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कार्रवाई बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद में की गई है। उन्होंने कहा:
“हम इसका जवाब अपने चुने हुए समय और स्थान पर देंगे।”
हालांकि अब तक पाकिस्तान की ओर से कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की गई है, जो उसके सैन्य और कूटनीतिक संकट को उजागर करती है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की छवि
इस सैन्य अभियान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत की साहसी नीति और आतंक के खिलाफ कड़े रुख की सराहना कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने संयम बरतने की अपील की है, लेकिन साथ ही आतंक के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराया है।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि यह कार्रवाई किसी राष्ट्र के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ है, और भारत की सीमाओं की सुरक्षा सर्वोपरि है।