चीन-अमेरिका: जिनेवा में टैरिफ विवाद को लेकर चीन और अमेरिका के बीच हुई अहम बातचीत के बाद अमेरिकी प्रशासन ने ऐलान किया है कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता हो गया है। हालांकि इस समझौते का औपचारिक विवरण अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन इसे वैश्विक व्यापार असंतुलन को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखा जा रहा है।
टैरिफ में बड़ी राहत के संकेत, ट्रंप का बयान सुर्खियों में
वार्ता से पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए संकेत दिया था कि वह चीन पर लगाए गए टैरिफ को मौजूदा 145 प्रतिशत से घटाकर 80 प्रतिशत करने के लिए तैयार हैं। ट्रंप ने लिखा, “यह स्काट बी पर निर्भर करता है। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता में महत्वपूर्ण प्रगति की है।”

पहली आमने-सामने बैठक: हे लिफेंग, स्काट बेसेन्ट और जेमिसन ग्रीर की वार्ता
यह बैठक उस समय हो रही है जब दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे के उत्पादों पर 100 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लागू कर चुकी हैं। जिनेवा में चीनी उप प्रधानमंत्री हे लिफेंग ने अमेरिकी वित्त मंत्री स्काट बेसेन्ट और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर के साथ आमने-सामने मुलाकात की। बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने व्यापार युद्ध की गंभीरता को स्वीकारते हुए संभावित समाधान पर मंथन किया।
वार्ता का दूसरा दिन भी रहा सक्रिय, 11 घंटे तक चली चर्चा
शनिवार को जहां आठ घंटे तक बातचीत चली, वहीं रविवार को वार्ता का सिलसिला साढ़े तीन घंटे तक चला। इस दौरान अमेरिकी वित्त मंत्री स्काट बेसेन्ट ने मीडिया से बातचीत करने से परहेज किया, लेकिन व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने संकेत दिए कि चीन वार्ता को लेकर अत्यधिक गंभीर है और व्यापार संबंधों को संतुलित करने की दिशा में सक्रिय प्रयास कर रहा है।

इस सप्ताह अन्य देशों से भी व्यापार समझौतों की संभावना
हैसेट ने यह भी बताया कि अमेरिका इस सप्ताह अन्य देशों के साथ भी व्यापार समझौतों की दिशा में कार्य कर सकता है। उन्होंने कहा कि “अमेरिका वैश्विक व्यापार में स्थायित्व और पारदर्शिता को लेकर प्रतिबद्ध है।”
टैरिफ विवाद से विश्व अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहा था संकट
गौरतलब है कि अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से टैरिफ युद्ध चल रहा है, जिसने वैश्विक व्यापार और निवेश पर गहरा असर डाला है। दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ ने विनिर्माण, कृषि, और तकनीक क्षेत्र को खासा प्रभावित किया है। जिनेवा वार्ता के जरिए दोनों देशों ने इस तनाव को कम करने की पहल की है।