चिड़ावा, 12 दिसम्बर 2024: युग पुरुष स्वामी विवेकानंद का खेतड़ी आगमन पर विरासत दिवस मनाया जा रहा है। लेकिन चिड़ावा के इतिहासकारों की माने तो स्वामी विवेकानंद खेतड़ी प्रवास के दौरान 1897 में एक दिन के लिए चिड़ावा भी आए थे।
साहित्यकार महामहोपाध्याय डॉ. ओमप्रकाश पचरंगिया ने बताया था कि उनकी दादी अक्सर बताया करती थी कि स्वामी जी अपने जीवन काल के दौरान शिकागो से जब खेतड़ी आए तो एक दिन के लिए भ्रमण हेतु स्वामी विवेकानंद महाराजा अजीत सिंह के साथ हाथी पर सवार हो अजर चिड़ावा जागीर में भी आए थे।
यहां पर गलियों में लोगों ने और प्राचीन हवेलियों के झरोखों से महिलाओं ने पुष्प वर्षा कर स्वामी जी का भव्य स्वागत किया था। पूरे शहर के लोगों में उस समय जबरदस्त उत्साह था।
स्वामी जी ने उस समय के गांधी चौक में कुछ देर लोगों से आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा भी की थीं और लोगों को राष्ट्र के प्रति हमेशा प्रेम का भाव बनाए रखने का आह्वान किया था। इसके बाद उन्होंने गढ़ वाला बालाजी मंदिर के सामने वर्तमान पुलिस थाना की जगह हुई जन सुनवाई में भी हिस्सा लिया।
गढ़ वाले बालाजी के प्रति महाराजा अजीत सिंह की विशेष श्रद्धा थी। वे चिड़ावा से जुड़े मामलों की सुनवाई गढ़ वाले बालाजी के सम्मुख बैठकर ही करते थे। यही पर लोगों की जनसुनवाई होती थी। स्वामी जी का सीधा और सरल स्वभाव और रहन सहन ने लोगों की काफी प्रभावित किया था।
इस अवसर पर शहर के विवेकानंद चौक में सर्किल स्थित प्रतिमा पर श्री विवेकानंद मित्र की ओर से स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर विरासत दिवस मनाया जाएगा।