चिड़ावा: अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में दायर परिवाद में कथित रूप से पंचायत समिति चिड़ावा के अधीनस्थ नव निर्मित दुकानों के अवैध आवंटन के मामले में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। परिवादी द्वारा आरोप लगाया गया कि 16 अभियुक्त व्यक्तियों ने आपसी मिलीभगत कर बिना किसी सार्वजनिक सूचना और प्रक्रिया के दुकानों का आवंटन अपने निजी रिश्तेदारों और परिचितों को कर दिया। इससे विभाग को आर्थिक हानि हुई और सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग हुआ।
इस मामले में अभियुक्तों की ओर से केवल चार अभियुक्तों के अधिवक्ता अनिल मान न्यायालय में उपस्थित हुए जबकि शेष अभियुक्त अनुपस्थित रहे। न्यायालय द्वारा पूर्व में विकास अधिकारी पंचायत समिति चिड़ावा से जांच रिपोर्ट मांगी गई थी, जिसमें भी प्रथम दृष्टया इन आरोपों की पुष्टि हुई। रिपोर्ट में तत्कालीन विकास अधिकारी रणसिंह, सहायक अभियंता महेंद्र सिंह, सहायक लेखाधिकारी प्रथम महेश धायल और प्रधान इंद्रा डूडी की भूमिका को संदेहास्पद पाया गया।
न्यायालय ने पाया कि प्रधान इंद्रा डूडी को इन अनियमित आवंटनों की जानकारी होने के बावजूद नियमों की अनदेखी की गई। रिपोर्ट के अनुसार, समिति के सदस्यों के रिश्तेदारों को नियमविरुद्ध दुकानों का आवंटन किया गया और इसमें अधिकारियों ने लोकसेवक की शक्ति का दुरुपयोग किया।
परिवादी चिड़ावा के सेही निवासी देवेंद्र कुमार की तरफ से एडवोकेट अवधेश कुमार ने इस मामले की पैरवी की।
अदालत ने मामले को प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध मानते हुए मुख्य परिवाद मय दस्तावेज झुंझुनूं पुलिस अधीक्षक को भेजने और उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से जांच कराकर जांच रिपोर्ट जल्द न्यायालय में पेश करने के निर्देश दिए हैं। यह प्रकरण सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग और शासन के खिलाफ विश्वासघात का प्रतीक माना जा रहा है।