गुढ़ागौड़जी, 2 मार्च 2025: धोलाखेड़ा गांव की 50 वर्षीय किरण खैरवा, जो वडोदरा के श्रीराम सैनिक विद्यालय में अध्यापिका थीं, ने अपनी मृत्यु के बाद भी चार लोगों को नई जिंदगी दी। सड़क दुर्घटना में ब्रेन डेड होने के बावजूद, उनके परिजनों ने एक साहसिक निर्णय लेते हुए उनके अंगों को दान किया, जिससे चार मरीजों को जीवनदान मिला।
दुर्घटना के बाद अस्पताल में हुआ इलाज
किरण खैरवा का वडोदरा में एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गईं। इस दुर्घटना में उनके सिर पर गहरी चोटें आईं, जिसके चलते उन्हें वडोदरा के गोपीनाथजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उनका इलाज जारी रहा, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। चिकित्सकों ने कई प्रयास किए, परंतु अंततः उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
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परिजनों ने लिया साहसिक निर्णय
जब चिकित्सकों ने किरण खैरवा को ब्रेन डेड घोषित किया, तब उनके परिवार ने एक महत्वपूर्ण और मानवीय निर्णय लिया। उन्होंने उनके अंगों को जरूरतमंद मरीजों को दान करने का संकल्प लिया, जिससे अन्य लोगों को नया जीवन मिल सके। परिवार के इस निर्णय को समाज में बेहद सराहा जा रहा है।
लिवर, हार्ट और किडनी का सफल प्रत्यारोपण
अंगदान की प्रक्रिया के तहत किरण खैरवा के लिवर, हार्ट और किडनी को अलग-अलग जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित किया गया। चिकित्सकों के अनुसार, यह प्रत्यारोपण सफल रहा और मरीजों को नया जीवन प्राप्त हुआ। अंगदान के इस कार्य ने किरण खैरवा को अमर बना दिया।
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समाज को मिला प्रेरणादायक संदेश
किरण खैरवा का यह त्यागपूर्ण निर्णय समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। अंगदान के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि मृत्यु के बाद भी जीवनदान संभव है। इस घटना ने अंगदान के प्रति जागरूकता को बढ़ावा दिया है और लोगों को इस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया है।