कोलकाता: सीबीआई द्वारा कोलकाता में डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच के दौरान सामने आए तथ्यों ने सुप्रीम कोर्ट में विवाद खड़ा कर दिया है। सीबीआई ने दावा किया कि उन्हें जांच सौंपे जाने से पहले ही घटना स्थल से छेड़छाड़ की गई और महत्वपूर्ण सबूत नष्ट कर दिए गए थे। इस पर पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कड़ी आपत्ति जताई और सीबीआई के आरोपों को निराधार बताया।
मेडिकल एग्जामिनेशन रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी
सीबीआई के वकील, सॉलिसिटर जनरल, से जब सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की मेडिकल जांच रिपोर्ट के बारे में पूछा तो उन्हें बताया गया कि यह रिपोर्ट उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई है। इस पर बंगाल सरकार के वकील, कपिल सिब्बल, ने कहा कि यह रिपोर्ट केस डायरी का हिस्सा है और इसे पेश किया गया है। सीबीआई ने तर्क दिया कि उन्हें घटना के पांच दिन बाद जांच सौंपी गई, जिससे उन्हें जांच में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
सीबीआई ने जताया संदेह
सीबीआई ने कहा कि पहली एफआईआर दाह संस्कार के बाद रात 11:45 बजे दर्ज की गई थी, और इसके बाद डॉक्टर के माता-पिता को बताया गया कि यह आत्महत्या का मामला है। उन्होंने यह भी बताया कि डॉक्टर के दोस्तों द्वारा वीडियोग्राफी की मांग के कारण भी उन्हें संदेह हुआ कि कुछ गड़बड़ हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस
जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि पोस्टमार्टम किस समय किया गया था। इस पर सिब्बल ने बताया कि शाम 6:10 से 7:10 बजे के बीच पोस्टमार्टम हुआ था। जस्टिस पारदीवाला ने यह भी पूछा कि जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया था, तब क्या यह अननेचुरल डेथ (अप्राकृतिक मौत) का मामला था या नहीं। अगर यह अप्राकृतिक मौत का मामला नहीं था, तो पोस्टमार्टम की आवश्यकता क्यों पड़ी?
सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉर्ड्स की पड़ताल करते हुए कहा कि अगर एफआईआर देर रात दर्ज की गई, तो अप्राकृतिक मौत का मामला पहले कैसे दर्ज हो गया। इस पर सिब्बल ने तर्क दिया कि अप्राकृतिक मौत का मामला दोपहर 1:45 बजे दर्ज किया गया था, जबकि एफआईआर रात 11:45 बजे दर्ज हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि कैसे दोनों रिपोर्टों को मिलाकर देखा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के कंडक्ट पर जताया संदेह
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से उनके दस्तावेज़ों और राज्य के दस्तावेज़ों में भिन्नता पर स्पष्टीकरण मांगा। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि यदि सीबीआई अगली तारीख तक इस मुद्दे का स्पष्टीकरण नहीं दे पाती, तो जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को अदालत में पेश होना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के कंडक्ट को संदेहास्पद बताते हुए उनसे जवाब तलब किया।