कोलकाता, पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में आरजी कर कांड (RG Kar Case) को लेकर जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि उन्हें कुर्सी का कोई लालच नहीं है। अगर राज्य के लोगों की भलाई के लिए इस्तीफा देना पड़ता है, तो वे इसके लिए भी तैयार हैं। उनकी इस टिप्पणी ने बंगाल की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
ममता बनर्जी के इस बयान के पहले तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा गए पूर्व सदस्य जवाहर सरकार (Jawhar Sircar) ने राज्य की नेतृत्व व्यवस्था में बदलाव की जरूरत बताई थी और इसी के तहत उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। आरजी कर कांड के खिलाफ आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों के साथ राज्य सरकार का गतिरोध और गहराता जा रहा है।
जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन: बैठक में नहीं हुआ संवाद
आरजी कर अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने अपने आंदोलन को और तेज कर दिया है। वे राज्य सचिवालय नवान्न में गुरुवार को आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने नहीं पहुंचे। डॉक्टरों की मांग थी कि बैठक का सीधा प्रसारण किया जाए, ताकि जनता जान सके कि बैठक में क्या हो रहा है। हालांकि, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही सुनवाई चल रही है और मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, “मैंने बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने का प्रस्ताव रखा था, ताकि इसे बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार साझा किया जा सके।”
बैठक के लिए इंतजार, लेकिन समाधान नहीं
ममता बनर्जी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्होंने बैठक के लिए दो घंटे से अधिक का इंतजार किया, लेकिन जूनियर डॉक्टरों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने बताया, “मैंने पिछले दो दिनों में भी दो-दो घंटे प्रतीक्षा की थी, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। मैं जनता से माफी मांगती हूं, जो इस गतिरोध के समाधान की प्रतीक्षा कर रहे थे।”
राज्य सरकार ने बातचीत के लिए जूनियर डॉक्टरों को राज्य सचिवालय में बुलाया था, और इस बैठक को वीडियो कैमरों के जरिए रिकॉर्ड करने की पूरी व्यवस्था की गई थी। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि जूनियर डॉक्टरों में से कुछ बैठक के लिए तैयार थे, लेकिन उन्हें फोन पर निर्देश भेजकर मना किया गया।
डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील करते हुए कहा कि इस आंदोलन के चलते इलाज के अभाव में 27 लोगों की जान जा चुकी है, और लगभग सात लाख लोग स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता लोगों की भलाई होनी चाहिए, और यह स्थिति केवल संवाद से ही सुलझाई जा सकती है।”
एस्मा लागू न करने की घोषणा
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वे जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) लागू नहीं करेंगी। उन्होंने कहा, “मैं एस्मा के समर्थन में नहीं हूं। मेरा जन्म आंदोलन से हुआ है और मैं हमेशा जन आंदोलनों का समर्थन करती हूं।”
डॉक्टरों की मांग: पारदर्शिता के साथ हो बैठक
जूनियर डॉक्टरों की तरफ से बयान आया कि वे बैठक के लिए तैयार थे, लेकिन पारदर्शिता चाहते थे। उन्होंने कहा, “हमने बैठक के सीधे प्रसारण की मांग इसलिए की थी ताकि लोग देख सकें कि इसमें क्या चर्चा हो रही है। हमारी भी यह मंशा है कि समस्या का समाधान हो, लेकिन इसके लिए पारदर्शिता जरूरी है।”