चिड़ावा, 21 जुलाई: अधीनस्थ न्यायालयों और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मंत्रालयिक एवं आशुलिपिक संवर्ग के कर्मचारियों ने सोमवार को भी चिड़ावा स्थित एडीजे कोर्ट, सेशन कोर्ट और एसीजेएम कोर्ट परिसर में कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर धरना जारी रखा। प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए नारेबाजी की और शीघ्र निर्णय की मांग दोहराई।
धरने पर बैठे कर्मचारियों ने बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा 25 मई 2022 और 4 अक्टूबर 2022 को जारी अधिसूचनाओं के अनुसार कैडर पुनर्गठन किया जाना था। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने 6 मई 2023 को पूर्ण बेंच की स्वीकृति के साथ प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को भेजा था। नियमों में आवश्यक संशोधन भी कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।
प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार पर उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाया। कर्मचारियों का कहना है कि यदि सरकार ने शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।
धरने में न्यायिक स्टाफ करणी सिंह, राजकुमार लांबा, मनीषा चौधरी, नटवर सिंह, अंजू, कृष्ण कुमार दाधीच, बनेश कुमारी, विजेंद्र सिंह, संजय गोयल, अंकित कुमार, राजमोहन सहित बड़ी संख्या में न्यायालय कर्मचारी शामिल हुए।
धरने के चलते न्यायालयीन कार्य प्रभावित रहा और लोगों को सुनवाई में देरी का सामना करना पड़ा। कर्मचारियों का कहना है कि यह आंदोलन न्यायिक व्यवस्था को बेहतर बनाने और कर्मचारियों के हक के लिए है, इसलिए सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
इस मामले को लेकर पूरे प्रदेश में न्यायिक कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है और चिड़ावा सहित अन्य कोर्ट परिसरों में भी विरोध के स्वर लगातार तेज होते जा रहे हैं।