चिड़ावा: क्षेत्र में एक बार फिर आगजनी की घटना ने प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए। किशोरपुरा और श्यामपुरा गांवों के बीच स्थित कच्चे रास्ते पर बने जोहड़ में शनिवार देर शाम अचानक भीषण आग लग गई, जिससे जोहड़ में लगे पूले (सूखी घांस) और आसपास के पेड़-पौधे जलकर खाक हो गए। समय रहते दमकल नहीं पहुंचने पर ग्रामीणों को स्वयं मोर्चा संभालना पड़ा, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
शनिवार शाम को किशोरपुरा व श्यामपुरा के बीच स्थित जोहड़ से अचानक आग की लपटें उठने लगीं। आग इतनी तेजी से फैली कि जोहड़ में लगे सूखे पुले और आसपास मौजूद पेड़-पौधे इसकी चपेट में आ गए। ग्रामीणों के अनुसार हवा के कारण आग और अधिक विकराल रूप ले रही थी, जिससे आसपास बने मकानों पर खतरा मंडराने लगा था।
घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने तुरंत चिड़ावा दमकल विभाग को फोन कर आग लगने की सूचना दी, लेकिन काफी समय बीत जाने के बावजूद फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर नहीं पहुंची। इस देरी को लेकर मौके पर मौजूद ग्रामीणों में भारी नाराजगी देखने को मिली। स्थानीय निवासी राजवीर ने बताया कि कई बार फोन करने के बाद भी समय पर दमकल वाहन नहीं पहुंच सका, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती थी।
दमकल के नहीं पहुंचने पर ग्रामीणों ने खुद ही आग पर काबू पाने का प्रयास शुरू किया। बाल्टियों से पानी डालकर और मिट्टी फेंककर आग को फैलने से रोका गया। काफी मशक्कत के बाद ग्रामीण आग को नियंत्रित करने में सफल रहे। यदि समय रहते आग पर काबू नहीं पाया जाता, तो पास में स्थित घरों को भी भारी नुकसान हो सकता था।
सूत्रों के अनुसार, जब किशोरपुरा-श्यामपुरा के बीच आग लगने की सूचना चिड़ावा फायर ब्रिगेड को मिली, उस समय दमकल वाहन गोवला–हसनसर मार्ग पर नदी के पाट में लगी आग को बुझाकर फायर स्टेशन लौट रहा था। वाहन में पानी खत्म हो चुका था और फायर स्टेशन पर दोबारा पानी भरा जा रहा था। पानी भरने के बाद जब दमकल वाहन मौके के लिए रवाना हुआ, तब तक ग्रामीण आग पर काबू पा चुके थे।
जोहड़ के पास ही आबादी क्षेत्र होने के कारण यह आग किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती थी। ग्रामीणों की सतर्कता और त्वरित प्रयासों से स्थिति संभल गई, लेकिन घटना ने आपातकालीन सेवाओं की तत्परता पर गंभीर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।




