कनाडा: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लगभग 10 वर्षों तक देश का नेतृत्व करने के बाद सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने लिबरल पार्टी के नेता का पद भी छोड़ने की घोषणा की। उनके इस अप्रत्याशित फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है, और अब यह चर्चा का विषय बन गया है कि कनाडा का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा।
अनीता आनंद बनीं प्रमुख दावेदार
प्रधानमंत्री पद की दौड़ में लिबरल पार्टी की वरिष्ठ सदस्य अनीता आनंद सबसे प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। अगर वे इस पद पर चुनी जाती हैं, तो कनाडा की पहली अश्वेत महिला और भारतीय मूल की पहली कनाडाई प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचेंगी। उनके चयन से भारत और कनाडा के बीच के बिगड़े संबंधों में सुधार की उम्मीद भी बढ़ गई है।
अनीता आनंद का राजनीतिक सफर
अनीता आनंद वर्तमान में कनाडा की परिवहन मंत्री और आंतरिक व्यापार मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले उन्होंने देश की रक्षा मंत्री के तौर पर भी जिम्मेदारी संभाली है। 2019 में ओकविले से सांसद का चुनाव जीतने के बाद वे जस्टिन ट्रूडो की सरकार में शामिल हुईं। अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक समझ के चलते वे कनाडा की राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बन चुकी हैं।
पारिवारिक और शैक्षिक पृष्ठभूमि
20 मई 1967 को केंटविले, नोवा स्कोटिया में जन्मी अनीता आनंद भारतीय मूल की हैं। उनके पिता एस.वी. आनंद दक्षिण भारत से थे और एक डॉक्टर थे, जबकि उनकी मां एक एनास्तेसियोलॉजिस्ट थीं और पंजाब से थीं। 1960 के दशक में उनका परिवार कनाडा में बस गया था।
अनीता ने क्वींस यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ आर्ट्स, डलहौजी यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की पढ़ाई की है। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वकील और प्रोफेसर के रूप में की। वे टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर भी रह चुकी हैं।
अनीता आनंद की लोकप्रियता
जस्टिन ट्रूडो की सरकार में कई अहम पदों पर रहते हुए अनीता आनंद ने अपनी कार्यकुशलता से महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी प्रभावशाली निर्णय क्षमता और नेतृत्व ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे ला खड़ा किया है।
कनाडा में भारतीय समुदाय का गर्व
कनाडा में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है। ऐसे में अनीता आनंद का प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल होना भारतीय समुदाय के लिए गर्व की बात है। अगर वे प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह वैश्विक राजनीति में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक कदम होगा।