झुंझुनूं, 11 मई 2025: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए झुंझुनूं जिले के सपूत सुरेंद्र कुमार को शनिवार को उनके पैतृक गांव मेहरादासी में सैनिक सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। पार्थिव देह को मंडावा से तिरंगा यात्रा के रूप में लाया गया, जिसमें जनसैलाब उमड़ पड़ा। भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों के बीच लोगों ने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की।

तिरंगा यात्रा में हर वर्ग और आयु के लोग शामिल हुए और गांव तक का वातावरण देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो गया। जैसे ही बलिदानी की देह गांव पहुंची, वहां शोक की लहर दौड़ गई, लेकिन साथ ही गांव के लाड़ले बेटे के बलिदान पर गर्व भी दिखाई दिया।
मेहरादासी गांव में अंतिम संस्कार स्थल पर सेना की टुकड़ी द्वारा सलामी दी गई और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ बलिदानी को अंतिम विदाई दी गई। परिजन, ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
इस मौके पर उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, सैनिक कल्याण मंत्री राज्यवर्धन राठौड़, प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत, राज्यसभा सांसद मदन राठौड़, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व सांसद नरेंद्र कुमार, जिला प्रमुख हर्षिनी कुलहरी, विधायक विक्रम सिंह जाखल, विधायक धर्मपाल गुर्जर, पूर्व विधायक सुभाष पूनिया, पवन मावंडिया, शुभकरण चौधरी, मुरारी सैनी सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
सभी ने बलिदानी को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और परिवार को संबल प्रदान किया। पूरा गांव बलिदान की वीरता और त्याग पर गर्व करता नजर आया।

संपादकीय टिप्पणी
‘समाचार झुंझुनूं 24’ ने निर्णय लिया है कि मातृभूमि के लिए अपने प्राण अर्पण करने वाले वीरों को ‘बलिदानी’ कहा जाएगा, न कि ‘शहीद’। ‘शहीद’ शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘गवाह’, जबकि हमारे सपूतों का बलिदान उस भाव से कहीं अधिक गहरा और पवित्र होता है।