जयपुर, राजस्थान: उत्तराखंड की तर्ज पर अब राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार भी समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) लागू करने पर विचार कर रही है। राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गुरुवार को भजनलाल सरकार में मंत्री जोगाराम पटेल ने इस मुद्दे पर सरकार का रुख साफ कर दिया है। उन्होंने घोषणा की कि सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है और सभी पहलुओं पर विचार करके विधानसभा में यह विधेयक लाया जाएगा।
विधि मंत्री का बयान
विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने सदन में कहा, “सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने पर विचार कर रही है। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद विधानसभा में यह विधेयक लाया जाएगा।” यह बयान तब आया जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के जयपुर मालवीय नगर से विधायक कालीचरण सराफ ने यह सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकार उत्तराखंड राज्य की तर्ज पर राजस्थान में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने का विचार रखती है।
बीजेपी विधायक का सवाल
बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने प्रश्न पूछा, “क्या सरकार उत्तराखंड राज्य की तर्ज पर राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने हेतु बिल लाने का विचार रखती है?” इस सवाल के जवाब में मंत्री जोगाराम पटेल ने सदन में सरकार की मंशा स्पष्ट की।
कालीचरण सराफ का सोशल मीडिया पोस्ट
इसको लेकर कालीचरण सराफ ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “आज राजस्थान विधानसभा में माननीय विधि मंत्री से समान नागरिक संहिता को लागू करने के संबंध में प्रश्न पूछा कि क्या राजस्थान में भी सरकार उत्तराखंड की तर्ज पर समान नागरिक संहिता कानून (UCC) लागू करने का विचार कर रही है। जवाब में विधानसभा में विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार इस संहिता को लागू करने पर विचार कर रही है। सभी पहलुओं पर विचार करके विधानसभा में यह विधेयक लाया जाएगा।”
समान नागरिक संहिता की आवश्यकता और महत्व
समान नागरिक संहिता का मुद्दा भारत में लंबे समय से चर्चा में रहा है। इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था सुनिश्चित करना है, चाहे उनका धर्म, जाति, या समुदाय कुछ भी हो। वर्तमान में, भारत में विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून हैं, जो विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार आदि से संबंधित हैं। समान नागरिक संहिता लागू होने से इन सभी कानूनों को एक समान रूप में लाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे न्यायिक प्रणाली में समानता और निष्पक्षता बनी रहेगी।