तेहरान/वॉशिंगटन/यरुशलम: ईरान के शिया धर्मगुरुओं द्वारा अमेरिका और इजरायल के नेताओं के विरुद्ध सख्त फतवा जारी किए जाने के बाद मध्य-पूर्व में तनाव और बढ़ गया है। ग्रैंड अयातुल्ला नासेर मकारिम शिराजी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अल्लाह का विरोधी करार देते हुए दुनिया भर के मुसलमानों से उनके विरुद्ध खड़ा होने का आह्वान किया है। इसके साथ ही अयातुल्ला नूरी हमदानी ने भी इसी तर्ज पर फतवा जारी करते हुए कहा है कि जो कोई भी ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई को धमकी देगा, वह अल्लाह का शत्रु माना जाएगा।
इस्लामिक धर्माचार्यों की यह प्रतिक्रिया हाल ही में अमेरिका और इजरायल द्वारा ईरानी परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले और उसके बाद खामेनेई को दी गई चेतावनियों के विरोध में आई है। धार्मिक नेतृत्व का मानना है कि ईरान के सर्वोच्च नेता पर सीधी धमकी देना न केवल एक राजनीतिक कृत्य है, बल्कि धार्मिक रूप से भी आपत्तिजनक है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई वर्तमान में सुरक्षा कारणों से अपने परिवार सहित बंकर में रह रहे हैं। हाल ही में उन्होंने इजरायल और अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी थी कि यदि उनके देश के परमाणु प्रतिष्ठानों पर फिर हमला हुआ तो ईरान अपनी पूरी सैन्य शक्ति के साथ जवाब देगा। खामेनेई ने देशवासियों से इजरायल पर अपनी ‘जीत’ का जश्न मनाने का आह्वान भी किया।
इस चेतावनी के जवाब में डोनाल्ड ट्रंप ने खामेनेई पर तीखा प्रहार करते हुए उन्हें एहसान फरामोश बताया। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अमेरिका और इजरायल को खामेनेई के छिपने के स्थान की पूरी जानकारी है और उन्होंने अब तक खामेनेई को “भयानक अंत” से सिर्फ इसलिए नहीं छुआ, क्योंकि वे संयम बरत रहे हैं। साथ ही ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि ईरान ने फिर से परमाणु हथियार निर्माण की कोशिश की या उसकी योजना भी बनाई, तो अमेरिका पिछली बार से भी ज्यादा शक्तिशाली हमला करेगा।
मौजूदा हालात की जड़ 12 जून को शुरू हुई उस सैन्य कार्रवाई में है, जिसमें इजरायल ने ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमला किया था। जवाब में ईरान ने भी इजरायल पर मिसाइलें दागीं और युद्ध जैसी स्थिति बन गई। यह टकराव लगभग 12 दिनों तक चला। 11वें दिन अमेरिका ने भी ईरान के खिलाफ बमबारी की, जिससे कई परमाणु सुविधाएं नष्ट हो गईं। इसके दो दिन बाद अमेरिका ने कतर के माध्यम से इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम करवा दिया।
हालांकि इजरायल अब शांत है, लेकिन ईरान और अमेरिका के बीच तीखी बयानबाज़ी जारी है। धार्मिक स्तर पर जारी हुए फतवे ने इस बयानबाजी को एक नए मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। यह घटनाक्रम क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर चिंताओं को और गहरा कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कूटनीतिक प्रयास विफल रहते हैं तो यह विवाद और व्यापक हो सकता है।