ईरान/इजरायल: ईरान और इजरायल के बीच चला टकराव अब गंभीर युद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ रातभर मिसाइल हमले किए। इजरायल ने ईरान के दक्षिण पार्स गैस क्षेत्र पर हमला किया, जिसे विश्व का सबसे बड़ा गैस भंडार माना जाता है। इस कार्रवाई से न केवल क्षेत्रीय तनाव बढ़ा, बल्कि वैश्विक तेल और गैस आपूर्ति को लेकर भी गहरी चिंता जताई जा रही है।
इजरायल की मिसाइलें तेहरान के शहरान ऑयल डिपो और रक्षा मंत्रालय के भवनों को निशाना बनाते हुए गिरीं। हमले में शहर के पास स्थित एक तेल रिफाइनरी में आग लग गई और पास की एक 14 मंजिला रिहायशी इमारत पर गिरने से 60 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 29 बच्चे शामिल थे।
वहीं, ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड ने दावा किया कि उनके मिसाइलों और ड्रोन ने इजरायल की ऊर्जा से जुड़ी बुनियादी संरचनाओं और फाइटर जेट ईंधन संयंत्रों को निशाना बनाया है। ईरान ने चेताया है कि यदि हमले जारी रहे तो उनकी ओर से जवाबी हमले अधिक व्यापक और घातक होंगे।
इजरायली मीडिया के मुताबिक, इजरायल के उत्तरी शहर तमरा में एक आवासीय मकान पर मिसाइल गिरने से तीन लोगों की जान गई और तेरह घायल हुए। मृतकों में एक महिला भी शामिल थी।
इस हिंसक स्थिति के बीच रविवार को ओमान में प्रस्तावित अमेरिका-ईरान परमाणु वार्ता को भी रद्द कर दिया गया। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरकची ने स्पष्ट कहा कि जब इजरायल इस प्रकार के हमले कर रहा है, उस स्थिति में किसी भी बातचीत का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
दूसरी ओर, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे संघर्ष की केवल शुरुआत बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में ईरान को और बड़ी कीमत चुकानी होगी। जवाब में ईरानी जनरल इस्माइल कोसारी ने बयान दिया कि ईरान हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने की योजना पर विचार कर रहा है, जो कि विश्व भर में तेल टैंकरों के लिए अहम मार्ग है।
बढ़ते तनाव और युद्ध की आशंका के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
इजरायली मानवाधिकार संगठन B’Tselem ने बयान जारी कर कहा कि सरकार ने कूटनीतिक विकल्पों की अनदेखी कर जानबूझकर युद्ध का रास्ता चुना है। वहीं, ईरान ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि इजरायल के मित्र देश उनके मिसाइलों को रोकने की कोशिश करेंगे, तो उनके सैन्य अड्डों को भी निशाना बनाया जाएगा।
ईरान और इजरायल के बीच यह टकराव केवल इन दो देशों तक सीमित न होकर अब वैश्विक स्तर पर तनाव पैदा कर रहा है। ऊर्जा आपूर्ति पर असर और कूटनीतिक प्रक्रिया के ठप पड़ने से क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका और गहरा गई है।