ईरान-इजराइल: शुक्रवार सुबह से शुरू हुआ ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष शनिवार को और भी उग्र हो गया। इजराइल ने शनिवार को भी हवाई हमले जारी रखते हुए ईरान के परमाणु ठिकानों को एक बार फिर से निशाना बनाया। इस बार की कार्रवाई को इजराइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नाम दिया है। यह ऑपरेशन उन खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर शुरू किया गया जिसमें ईरान द्वारा परमाणु हथियार विकसित करने की आशंका जताई गई थी।
इजराइली रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, तेहरान, इस्फहान और अराक स्थित कुछ प्रमुख न्यूक्लियर फैसिलिटीज़ को लक्ष्य बनाकर अत्याधुनिक ड्रोन और फाइटर जेट्स के जरिए हमले किए गए। इजराइल का कहना है कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए की गई है।

ईरान का जवाब: “ट्रू प्रॉमिस 3” सैन्य अभियान में इजराइल पर मिसाइलों की बौछार
इजराइल की कार्रवाई के जवाब में ईरान ने शुक्रवार रात “ट्रू प्रॉमिस 3” नामक सैन्य ऑपरेशन की शुरुआत की। इस ऑपरेशन के तहत ईरान ने इजराइल की ओर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं, जिनमें से कई तेल अवीव, हाइफ़ा, अशदोद और अन्य सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने का दावा किया गया है। ईरान के इस जवाबी हमले को “सबक सिखाने वाला कदम” करार दिया गया है।
ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने एक बयान में कहा कि “हमारे देश की संप्रभुता और परमाणु कार्यक्रम को बाधित करने की किसी भी कोशिश का कड़ा जवाब दिया जाएगा।”
भारत की अपील: ‘तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप अव्यावहारिक’
इस पूरे संघर्ष पर भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर का अहम बयान सामने आया है। जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि,
“अगर दो देश किसी मुद्दे में हस्तक्षेप स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो किसी तीसरे पक्ष का खुद को उसमें शामिल करना या कुछ करने की पेशकश करना अव्यावहारिक है।”
उन्होंने कहा कि भारत के ईरान और इजराइल दोनों से अच्छे संबंध हैं, और भारत ने भी अन्य देशों की तरह शांति की अपील की है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसी भी संघर्ष की स्थिति में दोनों पक्षों की मानसिकता शांति के लिए तैयार होनी चाहिए, तभी कोई समाधान संभव हो सकता है।

जयशंकर ने अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाक संघर्ष में मध्यस्थता की पेशकश को भी गलत बताया, जिससे उनकी कूटनीतिक स्थिति स्पष्ट होती है।
संघर्ष की पृष्ठभूमि: क्यों भड़का युद्ध?
ईरान और इजराइल के बीच का यह संघर्ष कोई नया नहीं है। दोनों देशों के बीच वर्षों से कूटनीतिक तनाव चला आ रहा है, लेकिन हाल के महीनों में यह विवाद और गहरा हो गया जब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने रिपोर्ट दी कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। इजराइल को आशंका थी कि इन हथियारों का इस्तेमाल क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
अमेरिका और यूरोपीय देशों की चिंता भी यही रही है कि यदि ईरान परमाणु हथियार बना लेता है, तो पश्चिम एशिया में सामूहिक विनाश की नई दौड़ शुरू हो सकती है। इसी खतरे के तहत इजराइल ने ईरान के न्यूक्लियर साइटों को निशाना बनाकर अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है।