अमेरिका: पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसीम मुनीर की अमेरिका यात्रा इस समय वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई है। वॉशिंगटन डीसी में उनकी मौजूदगी के दौरान प्रवासी पाकिस्तानियों और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थकों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें तानाशाह करार देते हुए लोकतंत्र विरोधी गतिविधियों के खिलाफ नारे लगाए। वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बुधवार को व्हाइट हाउस में आसीम मुनीर से औपचारिक भोज पर मुलाकात करेंगे।
व्हाइट हाउस द्वारा जारी राष्ट्रपति के कार्यक्रम में इस बैठक का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच सैन्य संघर्ष गहराता जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में ईरान को लेकर सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि अमेरिका को ईरानी नेतृत्व की गतिविधियों की पूरी जानकारी है और अब उनकी सहनशीलता खत्म हो रही है।
दूसरी ओर, जनरल मुनीर ने वॉशिंगटन में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान ईरान का पक्ष लेते हुए क्षेत्र में शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान क्षेत्रीय स्थिरता के पक्ष में है और वह ईरान के साथ खड़ा है। यह बयान उस समय आया है जब इजरायल और ईरान के बीच लगातार हमले और जवाबी हमलों का सिलसिला चल रहा है, जिसमें अब तक सैकड़ों नागरिकों की मौत हो चुकी है और कई सैन्य प्रतिष्ठानों को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
विरोध प्रदर्शन में शामिल ‘द एलायंस ऑर्गनाइजेशन’ की कार्यकारी निदेशक नाजिया इम्तियाज हुसैन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि वे पाकिस्तान में तानाशाही शासन और सैन्य दमन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने लिखा कि वे उन सभी लोगों की निंदा करते हैं जो तानाशाही का समर्थन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने ‘पाकिस्तानियों का कातिल’ और ‘इस्लामाबाद के कातिल’ जैसे नारे भी लगाए।
इस पूरे घटनाक्रम के राजनीतिक और कूटनीतिक संकेत स्पष्ट हैं। जहां अमेरिका एक ओर ईरान के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रहा है, वहीं पाकिस्तान के सेना प्रमुख की ईरान के पक्ष में सार्वजनिक टिप्पणी दोनों देशों के संबंधों में नई जटिलताएं जोड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप और मुनीर की इस मुलाकात में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, अफगानिस्तान की स्थिति और भारत-पाकिस्तान संबंधों पर भी बातचीत हो सकती है।
अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग लंबे समय से बना हुआ है, लेकिन हाल के वर्षों में पाकिस्तान के घरेलू राजनीतिक हालात और सेना की भूमिका को लेकर अमेरिकी नीति में भी कई बार संशय देखा गया है। ऐसे में इस बैठक को द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य की दिशा तय करने वाली माना जा रहा है।
इस बीच, इजरायल और ईरान के बीच जारी टकराव के चलते पूरे मध्य-पूर्व में तनाव गहराता जा रहा है। इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं, वहीं ईरान ने भी जॉर्डन, लेबनान और सीरिया की सीमाओं से मिसाइल और ड्रोन के जरिए जवाबी कार्रवाई की है। इस स्थिति ने वैश्विक स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति और सुरक्षा संतुलन को प्रभावित किया है।
जनरल मुनीर की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब पाकिस्तान के भीतर भी सैन्य दखल और लोकतंत्र को लेकर तीखी बहस चल रही है। प्रवासी समुदाय का बढ़ता विरोध यह संकेत दे रहा है कि सेना के खिलाफ असंतोष अब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुका है। वहीं, अमेरिकी नेतृत्व के साथ होने वाली यह बैठक पाकिस्तान की विदेश नीति और सैन्य रणनीति को किस दिशा में मोड़ेगी, इस पर भी वैश्विक निगाहें टिकी हुई हैं।