नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आधार और पैन कार्ड से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों का लीक रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान जारी करते हुए बताया कि सरकार ने ऐसी कई वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया है, जिनमें सुरक्षा खामियों के चलते भारतीय नागरिकों का संवेदनशील डेटा लीक हो रहा था।
मंत्रालय ने बताया कि भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (सीईआरटी-इन) ने इन वेबसाइटों का विश्लेषण किया और पाया कि इनके सिस्टम में कई सुरक्षा खामियां थीं। सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इन वेबसाइटों को बंद करने का निर्णय लिया है ताकि नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
सरकार का बयान
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि कुछ वेबसाइटें भारतीय नागरिकों के आधार और पैन कार्ड से जुड़ी संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारियों को लीक कर रही थीं। यह गंभीर मामला है और सरकार ने इसे प्राथमिकता देते हुए कार्रवाई की है। हमारा मुख्य उद्देश्य सुरक्षित साइबर सुरक्षा और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को बढ़ावा देना है।”
UIDAI ने दर्ज कराई शिकायत
इस संबंध में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार अधिनियम, 2016 के तहत एक शिकायत दर्ज कराई है। आधार अधिनियम के तहत आधार से जुड़ी जानकारियों का सार्वजनिक प्रदर्शन प्रतिबंधित है। UIDAI ने संबंधित पुलिस अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई है ताकि इस तरह के उल्लंघनों पर कड़ी कार्रवाई हो सके।
सुरक्षा खामियों का खुलासा
सीईआरटी-इन ने इन वेबसाइटों के सुरक्षा उपायों का विश्लेषण करने के बाद कई कमजोरियों का खुलासा किया है। मंत्रालय के बयान के अनुसार, “इन खामियों को देखते हुए संबंधित वेबसाइट मालिकों को आईसीटी अवसंरचना को मजबूत करने और खामियों को ठीक करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।”
आईटी अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि आईटी अधिनियम के तहत, कोई भी पक्ष जो इस डेटा लीक से प्रभावित हुआ है, वह मुआवजे की मांग करने के लिए निर्णायक अधिकारी से संपर्क कर सकता है। राज्यों के आईटी सचिवों को निर्णायक अधिकारी के रूप में नामित किया गया है, जो इस प्रकार की शिकायतों की सुनवाई करेंगे।
पिछले हफ्ते का डेटा लीक मामला
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते एक साइबर सुरक्षा शोधकर्ता ने दावा किया था कि स्टार हेल्थ इंश्योरेंस के अधिकारियों ने 3.1 करोड़ ग्राहकों का डेटा बेचा है। यह घटना साइबर सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं का संकेत देती है, और सरकार के लिए इसे प्राथमिकता के रूप में देखने की आवश्यकता को दर्शाती है।