नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के आदित्य L-1 और चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यानों ने हाल ही में सूरज पर हुए भयानक विस्फोटों की तस्वीरें कैद की हैं। इन विस्फोटों से निकली शक्तिशाली सौर लहरों ने 11 मई को धरती से टकराकर सौर तूफान का रूप ले लिया, जो 2003 के बाद सबसे शक्तिशाली तूफान था। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह घटना भविष्य में धरती के लिए खतरा बन सकती है।
इसरो के वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि सूरज में 11 मई को कई बड़े विस्फोट हुए थे, जिनसे M और X श्रेणी की शक्तिशाली लहरें निकलीं। इन लहरों ने पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करते हुए सौर तूफान का रूप ले लिया। इसरो के अनुसार, इस तूफान का प्रभाव जियोमैग्नेटिक इंडेक्स 9 तक पहुंच गया था, जो कि तूफान की तीव्रता का माप है और यह 5 से अधिक होने पर खतरनाक माना जाता है।
सौभाग्य से, यह तूफान उस समय आया जब भारत में रात थी, जिसके कारण इसका प्रभाव कम रहा। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि यह तूफान दिन के समय आता तो बिजली कटौती और संचार व्यवस्था में व्यापक व्यवधान हो सकता था।
इसरो के आदित्य L-1 मिशन का ASPEX पेलोड और चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर इन विस्फोटों और सौर तूफान की घटनाओं को रिकॉर्ड करने में सफल रहे। इन तस्वीरों और डेटा से वैज्ञानिकों को सूर्य के व्यवहार और सौर तूफानों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त होगी। यह जानकारी भविष्य में आने वाले सौर तूफानों से बचाव के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है, जो धरती के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।
सौर तूफान अंतरिक्ष से आने वाले आवेशित कणों का एक विशाल विस्फोट होते हैं। ये कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करके संचार प्रणालियों, बिजली ग्रिड और उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि सौर गतिविधि में वृद्धि के साथ, भविष्य में सौर तूफान अधिक तीव्र और लगातार हो सकते हैं।
इसरो लगातार सूर्य और सौर गतिविधि की निगरानी कर रहा है ताकि वैज्ञानिकों को सौर तूफानों के खतरे से बेहतर ढंग से निपटने के लिए तैयार किया जा सके।