पिलानी: कस्बे में अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के विरोध में पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक संगठनों ने खुलकर आवाज बुलंद की। AIKKMS और AIDYO के संयुक्त आह्वान पर तालाब बस स्टैंड पर आयोजित इस प्लेकार्ड प्रोटेस्ट में बड़ी संख्या में आम नागरिकों की भागीदारी देखने को मिली। प्रदर्शनकारियों ने निर्णय को अरावली संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए घातक बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की।
अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण की मांग को लेकर पिलानी के तालाब बस स्टैंड पर आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में AIKKMS और AIDYO से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सरकार और न्यायालय के निर्णय के खिलाफ शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शन के दौरान “अरावली बचाओ – जीवन बचाओ” और “पर्यावरण नहीं तो भविष्य नहीं” जैसे नारों वाली तख्तियां हाथों में लेकर लोगों ने पर्यावरणीय चिंता को सार्वजनिक मंच पर रखा।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि हालिया न्यायिक निर्णय में अरावली पर्वतमाला की परिभाषा को सीमित करते हुए केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों को ही अरावली मानने का रास्ता खोला गया है। उनका तर्क है कि इस व्याख्या से अरावली क्षेत्र की कई छोटी पहाड़ियां कानूनी संरक्षण से बाहर हो जाएंगी, जिससे खनन गतिविधियों, अवैध निर्माण और पर्यावरण विनाश को बढ़ावा मिल सकता है।
AIKKMS और AIDYO से जुड़े वक्ताओं ने कहा कि अरावली पर्वतमाला राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए प्राकृतिक ढाल का काम करती है। यह पर्वत श्रृंखला रेगिस्तान के फैलाव को रोकने, भू-जल संरक्षण, वर्षा चक्र संतुलन और जलवायु स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। वक्ताओं ने चेताया कि यदि इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में गंभीर पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो सकता है।
प्रदर्शन में शंकर, दया, संदीप शर्मा, विष्णु वर्मा, महावीर प्रसाद शर्मा, नवीन एडवोकेट और राजेंद्र सिहाग सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता सक्रिय रूप से मौजूद रहे। इनके साथ महिलाओं, पुरुषों, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की भागीदारी ने इस विरोध को जन आंदोलन का स्वरूप दिया। उपस्थित लोगों ने एक स्वर में अरावली संरक्षण को लेकर जनहित में निर्णय की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि अरावली पर्वत श्रृंखला से जुड़े इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो आने वाले समय में आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।





