वॉशिंगटन, अमेरिका: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ शनिवार को पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शनों की दूसरी बड़ी लहर देखने को मिली। न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, शिकागो, लॉस एंजेल्स और फ्लोरिडा जैसे प्रमुख शहरों में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर ट्रंप प्रशासन की नीतियों के प्रति असंतोष जताया।

700 से अधिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन, ‘शर्म करो!’ के नारे गूंजे
प्रदर्शन आयोजकों के अनुसार, शनिवार को देशभर में 700 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें नागरिकों ने इमिग्रेशन, टैरिफ नीतियों, आर्थिक असमानता, और नौकरियों में कटौती जैसे मुद्दों पर गहरा असंतोष व्यक्त किया। व्हाइट हाउस के बाहर जमा हुए प्रदर्शनकारियों ने “शर्म करो!” जैसे नारे लगाते हुए ट्रंप पर कानून के शासन और नागरिक स्वतंत्रताओं को कुचलने का आरोप लगाया।
पिछली बार से कम संख्या, लेकिन आक्रोश उतना ही तीव्र
हालांकि 5 अप्रैल को हुए विरोध प्रदर्शनों की तुलना में इस बार कुछ शहरों में लोगों की संख्या कम रही, फिर भी प्रदर्शनों की तीव्रता में कोई कमी नहीं देखी गई। वॉशिंगटन स्मारक से निकले मार्च में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया।
निर्वासन के खिलाफ उठी आवाज: गार्सिया की वापसी की मांग
प्रदर्शन के दौरान कई लोग किल्मर अरमांडो अब्रेगो गार्सिया को वापस लाने की मांग कर रहे थे। गार्सिया एक मैरीलैंड निवासी हैं, जिन्हें प्रशासन द्वारा गलत तरीके से अल साल्वाडोर निर्वासित कर दिया गया था। प्रदर्शनकारी इसे इमिग्रेशन नीति की विफलता और मानवाधिकार हनन का प्रतीक मान रहे हैं।

नागरिकों की चिंता: ‘हम अपना देश खो रहे हैं’
जैक्सनविले, फ्लोरिडा में आयोजित रैली में सैकड़ों नागरिकों ने LGBTQ समुदाय पर हो रहे कथित हमलों, प्रजाति संरक्षण कानून में बदलाव, और प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरे जैसे मुद्दों को लेकर गहरा रोष जताया।
सारा हार्वे, एक प्रदर्शनकारी, ने कहा, “हम अपना देश खो रहे हैं। यह वही अमेरिका नहीं रहा, जिसकी हमने कल्पना की थी।”