अमेरिका: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत समेत दुनिया के कई देशों पर 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश टैरिफ और मार्केट एक्सेस जैसे मुद्दों के समाधान के लिए बातचीत कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
MEA के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका व्यापारिक मुद्दों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए संपर्क में हैं। उन्होंने कहा, “हम दोनों देशों के लिए लाभकारी बहुक्षेत्रीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए अमेरिकी प्रशासन से बातचीत कर रहे हैं।”

रेसिप्रोकल टैरिफ का प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अगले महीने से भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की योजना भारतीय निर्यात को प्रभावित कर सकती है। इस निर्णय के तहत अमेरिका, भारत से आयातित वस्तुओं पर उसी प्रकार का शुल्क लगाएगा, जैसा भारत अमेरिकी उत्पादों पर लगाता है। हालाँकि, इस मुद्दे पर चर्चा जारी है और भारतीय पक्ष को सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है।
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा और व्यापार वार्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फरवरी में वाशिंगटन यात्रा के दौरान भी टैरिफ को लेकर चर्चा हुई थी। दोनों देशों ने 2025 की शरद ऋतु तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को लेकर बातचीत करने का निर्णय लिया था। इसके बावजूद, ट्रंप ने भारत के टैरिफ स्ट्रक्चर पर सवाल उठाते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की बात दोहराई।
डोनाल्ड ट्रंप का रुख
ट्रंप ने ब्रेइटबार्ट न्यूज को दिए इंटरव्यू में भारत को दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाला देश बताया। उन्होंने कहा, “भारत के साथ मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं, लेकिन वे दुनिया के सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक हैं। 2 अप्रैल को हम भी उनसे वही टैरिफ वसूलेंगे जो वे हमसे वसूलते हैं।”

ट्रेड वॉर की आशंका
ट्रंप की टैरिफ धमकियों ने वैश्विक व्यापार युद्ध (Trade War) की आशंकाओं को जन्म दिया है। कई देश इस स्थिति से निपटने के लिए जवाबी उपायों पर विचार कर रहे हैं। भारत भी इस स्थिति पर सतर्कता से नजर बनाए हुए है।
भविष्य की व्यापारिक योजना
वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने शुक्रवार को संसद में कहा कि भारत सरकार अमेरिका के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी और निष्पक्ष द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुँचाने के लक्ष्य को लेकर सहमत हुए हैं।