नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर संसद के कामकाज की आलोचना करने को लेकर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि जब लोकसभा में बोलने के लिए समय दिया गया था, तब राहुल गांधी वियतनाम में थे। अमित शाह ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा घोषित ठेकों में चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण को “लॉलीपॉप” बताया।
धर्म आधारित आरक्षण पर शाह की प्रतिक्रिया
गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का आरक्षण संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि अदालतें भी इस तरह के आरक्षण को असंवैधानिक करार देंगी। शाह ने कहा, “हम धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार के आरक्षण का पूरी तरह से विरोध करते हैं।”

संसद में बोलने के नियमों पर दिया जवाब
संसद के कामकाज की आलोचना करने पर शाह ने कहा कि विपक्ष के नेता को सदन में बोलने के नियमों की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “लोकसभा में राहुल गांधी को बजट पर चर्चा के दौरान 42 प्रतिशत समय दिया गया। अब यह उनका निर्णय है कि वे अपनी पार्टी से किसे बोलने के लिए चुनते हैं।”
राहुल गांधी पर व्यंग्य
अमित शाह ने कहा कि जब संसद में गंभीर चर्चा हो रही थी, तब राहुल गांधी वियतनाम में थे। उन्होंने कहा, “वह जब वापस लौटे, तो अपनी मर्जी से बोलने की मांग करने लगे। संसद नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार चलती है, न कि कांग्रेस पार्टी की तरह, जिसे एक परिवार चलाता है।”
कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार
देश में आपातकाल जैसे हालात होने के कांग्रेस के आरोपों पर अमित शाह ने कहा कि अगर सच में आपातकाल होता, तो विपक्ष के नेता जेल में होते। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल हमेशा सरकार की आलोचना करते रहते हैं, लेकिन सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन कर रही है।
जाति आधारित गणना पर भी दिया बयान
कांग्रेस द्वारा जाति आधारित जनगणना की मांग पर गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने ही अतीत में इस तरह की कवायद का विरोध किया था। उन्होंने कांग्रेस पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।

राहुल गांधी का पलटवार
वहीं, राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर आरोप लगाया कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों की भूमिका होती है, लेकिन संसद में विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा, “जब भी मैं बोलने के लिए खड़ा होता हूं, मुझे रोका जाता है। यहाँ हमें अपनी बात कहने का मौका नहीं मिलता।”