नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और बार-बार हो रही गोलीबारी की पृष्ठभूमि में 10 मई को लागू हुआ सीजफायर अब तक प्रभावी बना हुआ है। भारतीय सेना ने स्पष्ट किया है कि यह समझौता किसी तय समयसीमा से बंधा नहीं है, और इसका उद्देश्य केवल अस्थायी शांति नहीं, बल्कि दीर्घकालीन विश्वास बहाली है।
डीजीएमओ के स्तर पर बनी अहम सहमति
भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और उनके पाकिस्तानी समकक्ष के बीच 12 मई को हुई द्विपक्षीय वार्ता में स्पष्ट रूप से तय किया गया कि एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर “शून्य फायरिंग” नीति अपनाई जाएगी। किसी भी पक्ष द्वारा एक भी गोली चलाना सीजफायर का उल्लंघन माना जाएगा।

सीजफायर पर सेना की सख्त चेतावनी
राजीव घई ने पाकिस्तानी अधिकारियों को चेताया कि यदि उस पार से एक भी गोली चलाई गई, तो सीजफायर कायम रखना असंभव होगा। इस सख्त रुख के चलते 10 मई के बाद अब तक एलओसी और IB पर किसी भी प्रकार की गोलीबारी की खबर सामने नहीं आई है। यह सीजफायर न केवल एक सैन्य सफलता है, बल्कि राजनीतिक स्थिरता की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मंगलवार को हॉटलाइन वार्ता की परंपरा, 20 मई को संभावित समीक्षा
भारतीय और पाकिस्तानी डीजीएमओ के बीच हर मंगलवार को हॉटलाइन पर बातचीत की स्थापित प्रक्रिया है। इसी कड़ी में 20 मई को संभावित अगली वार्ता में सीजफायर के पालन और उसके परिणामों की समीक्षा की जा सकती है। सेना ने रविवार को यह स्पष्ट किया कि 18 मई को कोई आधिकारिक वार्ता निर्धारित नहीं थी और सीजफायर समाप्त होने की अटकलें निराधार हैं।

सेना का बयान: “सीजफायर जारी रहेगा”
भारतीय सेना के प्रवक्ता ने मीडिया में बढ़ती अटकलों को खारिज करते हुए कहा, “सीजफायर की कोई समाप्ति तिथि तय नहीं की गई है। यह एक खुला समझौता है जिसे कायम रखने की दिशा में भारत गंभीर है।”