उदयपुरवाटी, 4 जून 2025: निकटवर्ती चंवरा और किशोरपुरा की पहाड़ी पर स्थित पलटूदास अखाड़ा पंचमुखी हनुमान मंदिर, मोरिंडा धाम में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन मंगलवार को रुक्मणी विवाह के साथ भव्य रूप से हुआ। आयोजन का अंतिम दिन धार्मिक उत्साह और भावनात्मक श्रद्धा से परिपूर्ण रहा।

कथावाचक दिनकर शास्त्री ने कथा के अंतिम सत्र में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के विवाह प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने श्रीकृष्ण के 16,108 विवाहों की आध्यात्मिक व्याख्या करते हुए बताया कि यह सब मानवता को विविध रूपों में अपनाने का प्रतीक है। उन्होंने सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष और कलियुग की घटनाओं का रोचक एवं शिक्षाप्रद विवरण भी प्रस्तुत किया।
अपने संबोधन में शास्त्री ने श्रद्धालुओं से कहा कि सच्ची मित्रता कृष्ण और सुदामा जैसी होती है, जिसमें ना कोई बड़ा होता है, ना छोटा — केवल समानता, निष्ठा और भावनात्मक संबंध होते हैं। कथा मंच पर रुक्मणी विवाह और कृष्ण-सुदामा मिलन की जीवंत झांकी प्रस्तुत की गई, जिसने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
विवाह आयोजन में श्रद्धालुओं ने हर्षोल्लास से भाग लिया। बारातियों द्वारा प्रस्तुत नृत्य ने माहौल को आनंदमय बना दिया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने प्रतीकात्मक कन्यादान भी किया, जिसे सभी ने धार्मिक कर्तव्य की भावना से संपन्न किया।

बुधवार सुबह हवन और भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। आयोजन के दौरान प्रमुख रूप से उपस्थित रहने वालों में गजराज सिंह शेखावत (मंदिर कमेटी अध्यक्ष), रघुनाथ दास, फेरन दास, दीपक दास, तुरंत दास और ताराचंद दास रहे।
यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बना, बल्कि समाज में आध्यात्मिकता, एकता और प्रेमभाव के संदेश को भी मजबूती से प्रसारित करने वाला साबित हुआ।