पेरिस: स्पेन के युवा टेनिस स्टार कार्लोस अल्कारेज ने फ्रेंच ओपन 2025 के मेन्स सिंगल्स फाइनल में रोमांचक मुकाबले में वर्ल्ड नंबर-1 इटली के जानिक सिनर को हराकर इतिहास रच दिया। फिलिप चैटरियर कोर्ट पर हुए इस प्रतिष्ठित मुकाबले में अल्कारेज ने पांच सेटों के मैराथन संघर्ष में 4-6, 6-7(4), 6-4, 7-6(3), 7-6(10-2) से जीत दर्ज की। यह मुकाबला 5 घंटे 29 मिनट तक चला, जो फ्रेंच ओपन के इतिहास का सबसे लंबा पुरुष सिंगल्स फाइनल बन गया।
लाल बजरी पर अल्कारेज का ‘राज’ कायम
कार्लोस अल्कारेज लगातार दूसरे साल फ्रेंच ओपन का खिताब जीतने वाले इस सदी के तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं। उनसे पहले यह कारनामा स्पेन के राफेल नडाल और ब्राजील के गुस्तावो क्यूर्टेन ने किया था। यह जीत न सिर्फ उनकी प्रतिभा की पुष्टि करती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि क्ले कोर्ट पर अब ‘नडाल युग’ के बाद अल्कारेज का दौर शुरू हो चुका है।
चित्र स्रोत: Roland Garros Media
सिनर की पहली फ्रेंच ओपन फाइनल यात्रा अधूरी
वहीं, इटली के जानिक सिनर पहली बार फ्रेंच ओपन के फाइनल में पहुंचे थे। यूएस ओपन और ऑस्ट्रेलियन ओपन के बाद वे इस साल तीसरा ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने की ओर अग्रसर थे, लेकिन निर्णायक क्षणों में चूक गए। यह उनके करियर की पहली ग्रैंडस्लैम फाइनल हार रही।

मैच का रोमांच: वापसी की मिसाल बने अल्कारेज
- पहले दो सेट हारने के बाद अल्कारेज ने दमदार वापसी की।
- तीसरे सेट में उन्होंने 6-4 से जीत हासिल कर मैच में वापसी की उम्मीदें जगाईं।
- चौथे सेट में तीन मैच प्वाइंट बचाते हुए 7-6 (3) से जीत हासिल की।
- निर्णायक सेट में दोनों खिलाड़ियों ने एक-दूसरे की सर्विस ब्रेक की, लेकिन अंत में अल्कारेज ने सुपर टाईब्रेक में 10-2 से जीत दर्ज की।
यह जीत अल्कारेज की सिनर पर लगातार पांचवीं जीत रही और इसी के साथ उन्होंने सिनर की ग्रैंडस्लैम में 20 मैचों की जीत की लय भी तोड़ दी।
फ्रेंच ओपन इतिहास का सबसे लंबा फाइनल
इस मुकाबले ने फ्रेंच ओपन इतिहास में सबसे लंबे फाइनल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। इससे पहले यह रिकॉर्ड 1982 में मैट्स विलेंडर और गुइलेरमो विलास के बीच चार घंटे 42 मिनट तक चले मुकाबले के नाम था।

नई पीढ़ी की टेनिस पर बादशाहत
दोनों खिलाड़ी 2000 के दशक में जन्मे हैं, और पिछले 8 ग्रैंडस्लैम में से 7 का खिताब इन्हीं के नाम रहा है। यह मुकाबला टेनिस की एक नई और तेज़तर्रार पीढ़ी के वर्चस्व की स्पष्ट झलक था। इस फाइनल ने यह सिद्ध कर दिया कि टेनिस अब नडाल, जोकोविच और फेडरर के युग से आगे बढ़ चुका है।