पिलानी (झुंझुनूं): वार्ड नंबर 06 स्थित पुरानी नगर पालिका परिसर में आज आयोजित पोषण मेला 2025 ने महिलाओं में स्वास्थ्य और पोषण जागरूकता की नई मिसाल पेश की। इस मेले का उद्देश्य गर्भवती और धात्री (स्तनपान कराने वाली) महिलाओं को स्थानीय, पारंपरिक और पौष्टिक व्यंजनों के महत्व से परिचित कराना था। इस अवसर पर पिलानी सेक्टर की सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने मिलकर अपने घरों से बने राजस्थानी व्यंजन और पौष्टिक मिठाइयां प्रदर्शित कीं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने पेश किए घर के बने पौष्टिक व्यंजन
पोषण मेले में विभिन्न आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने पारंपरिक राजस्थानी थाली, चूरमा, बाजरे की खिचड़ी, गुड़-घी की मिठाइयां और मूंग दाल लड्डू जैसे कई व्यंजन तैयार किए। इन व्यंजनों को न केवल स्वादिष्ट बताया गया, बल्कि मातृ स्वास्थ्य के लिए उपयोगी पोषक तत्वों से भरपूर भी बताया गया। कार्यकर्ताओं ने महिलाओं को समझाया कि स्थानीय सामग्री से तैयार भोजन कैसे प्राकृतिक पोषण का बेहतर स्रोत बन सकता है।
सीडीपीओ सरोज देवी ने किया निरीक्षण, की सराहना
कार्यक्रम की प्रमुख अधिकारी सीडीपीओ सरोज देवी ने मेले का निरीक्षण किया और सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना की। इस दौरान महिला पर्यवेक्षक अनीता देवी ने कहा कि “गर्भवती महिलाओं के लिए संतुलित आहार और घरेलू व्यंजन सबसे सुरक्षित पोषण विकल्प हैं।” मेले में बबीता कंवर, अंजना शर्मा, संतोष नायक, पुष्पा देवी, अफसाना बानो, सीमा आलडिया, रजनी शर्मा, संतरा देवी, चंदा देवी, शीला देवी, सुनीता सैनी, विमला देवी, सावित्री सैनी और अनीता सिंह सहित सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मौजूद रहीं।
स्थानीय व्यंजनों से मातृ एवं शिशु पोषण को मिला बढ़ावा
पोषण मेले का मुख्य संदेश था — “घर की रसोई ही सबसे बड़ा पोषण केंद्र है।” इस पहल ने क्षेत्र में मातृ एवं शिशु पोषण सुधार की दिशा में एक ठोस कदम बढ़ाया है। आयोजकों का मानना है कि पारंपरिक भोजन को अपनाने से कुपोषण दर घटाने और महिलाओं की सेहत सुधारने में मदद मिलेगी।






