नई दिल्ली: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बुधवार को ‘ऑपरेशन सिंधु’ की शुरुआत की। इस अभियान के तहत उत्तरी ईरान में मौजूद 110 भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाला गया और विशेष उड़ान के जरिए उन्हें दिल्ली लाया गया। इन छात्रों में जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित कई राज्यों के विद्यार्थी शामिल थे, जो ईरान में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे।
विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने समन्वय के जरिए इन छात्रों को सुरक्षित रूप से उत्तरी ईरान से बाहर निकाला। दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद छात्र अपने-अपने राज्यों के लिए रवाना हो गए। हालांकि, जम्मू-कश्मीर से आए छात्रों ने सरकार द्वारा मुहैया करवाई गई बस सेवा को लेकर नाराजगी जताई है।
छात्रों का कहना है कि वे 20 घंटे से अधिक की लंबी और थकाऊ यात्रा कर भारत लौटे हैं, और अब दिल्ली से जम्मू-कश्मीर तक एक बार फिर उतनी ही लंबी बस यात्रा करना उनके लिए बेहद कठिन है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने उन्हें बेहतर यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने का वादा किया था, लेकिन जो बसें उन्हें दी गईं, वे काफी पुरानी और असुविधाजनक हैं। छात्रों ने कहा कि भारत सरकार ने विदेश में उनकी पूरी सहायता की, लेकिन राज्य सरकार ने जो भरोसा दिलाया था, वह धरातल पर नहीं दिखा।
इन शिकायतों के बाद जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से एक सोशल मीडिया पोस्ट साझा की गई, जिसमें बताया गया कि मुख्यमंत्री ने छात्रों की बसों की गुणवत्ता को लेकर की गई शिकायतों को गंभीरता से लिया है। रेजिडेंट कमिश्नर को जम्मू-कश्मीर परिवहन निगम के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया गया है ताकि दिल्ली से जम्मू-कश्मीर तक की यात्रा के लिए बेहतर डीलक्स बसों की व्यवस्था की जा सके।
छात्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास ने निकासी अभियान के दौरान हर स्तर पर सहायता प्रदान की, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अंतिम चरण में की गई व्यवस्थाएं अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहीं। विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने भी इस स्थिति पर असंतोष जताया और कहा कि संकट के समय राज्य सरकारों को भी वैसी ही तत्परता दिखानी चाहिए जैसी केंद्र सरकार ने विदेश में फंसे नागरिकों को निकालने में दिखाई।
फिलहाल सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि शेष भारतीय नागरिकों और छात्रों को सुरक्षित निकालने के प्रयास लगातार जारी हैं। इसके लिए पड़ोसी देशों से भी समन्वय किया जा रहा है। ऑपरेशन सिंधु को संकट की घड़ी में केंद्र सरकार की एक त्वरित और प्रभावी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है, हालांकि राज्य स्तर पर सहयोग की कमी ने इस अभियान की पूर्ण सफलता पर कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं।