नई दिल्ली: अहमदाबाद में गुरुवार को हुए भीषण विमान हादसे के बाद केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक आज सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित की जाएगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस बैठक की अध्यक्षता गृह सचिव करेंगे। समिति का मुख्य उद्देश्य इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedures – SOPs) तैयार करना है।
इस समिति को अपनी रिपोर्ट तीन महीनों के भीतर केंद्र सरकार को सौंपनी होगी, जिसमें सुरक्षा उपायों, प्रशासनिक जिम्मेदारियों और विमानन क्षेत्र में नीति सुधारों पर सिफारिशें शामिल होंगी।

AAIB कर रहा तकनीकी पहलुओं की जांच
विमान हादसे की तकनीकी जांच का जिम्मा Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) को सौंपा गया है। AAIB यह जांच कर रहा है कि हादसे से पहले विमान में किस प्रकार की तकनीकी विफलता हुई और क्या वह मानव-त्रुटि, रख-रखाव में लापरवाही या फिर मौसमीय कारणों से जुड़ी थी।
नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि AAIB हादसे के तकनीकी पहलुओं की जांच करेगा, जबकि गृह सचिव की अध्यक्षता वाली समिति नीतिगत और संरचनात्मक उपायों पर केंद्रित रहेगी।
ब्लैक बॉक्स बरामद, जांच में आएगी तेजी
दुर्घटना के ठीक एक दिन बाद, शुक्रवार शाम को ब्लैक बॉक्स मलबे से बरामद कर लिया गया। इस ब्लैक बॉक्स में पायलट और को-पायलट की कॉकपिट रिकॉर्डिंग, उड़ान का डेटा और अन्य महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारी दर्ज होती है। इससे यह पता चल सकेगा कि हादसे से ठीक पहले विमान में क्या गतिविधि चल रही थी और असली कारण क्या था।
यह भीषण हादसा गुरुवार को सुबह तब हुआ जब एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान, जो अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रहा था, उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद मेघानीनगर स्थित मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें 241 की मौके पर ही मौत हो गई, और मात्र एक यात्री चमत्कारिक रूप से जीवित बच सका।

हादसे के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने भी हादसे पर शोक जताते हुए भारत सरकार से उच्चस्तरीय जांच की अपील की थी।
एविएशन विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं केवल तकनीकी विफलता नहीं बल्कि प्रबंधन, प्रशिक्षण और निगरानी की खामियों का परिणाम होती हैं। इसलिए गृह सचिव की अगुवाई में गठित यह समिति भारत की उड्डयन नीति में गहरे और दीर्घकालिक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।




